For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो जैसे नचा रहा है, मैं वैसे नाच रहा हूँ

समय

साक्षी है

अतीत का

वर्तमान का

मैं सिर्फ इसके

साक्ष्य को

दोहरा रहा हूँ

इसके लिखे गीतों को

गुनगुना रहा हूँ !

 

समय

ने बाँध दिया

जीवन और

मृत्यु की

डोर से मुझको

और मैं

पतंग की तरह

हवाओं में,

लहरा रहा हूँ !

 

धागा

ये प्रेम का

बड़ा नाजुक है

टूट ना जाये कहीं

ये सोच के 

घबरा रहा हूँ 

वो जैसे नचा रहा है

मैं वैसे नाच रहा हूँ !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित

Views: 811

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:54pm

 आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! सादर

 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:48pm

आदरणीय गिरिराज सर,आपकी उत्साहवर्धक और प्रेरणादायी टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद आभार।

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:46pm

आदरणीया सविता मिश्र जी , आपकी उत्साहवर्धक  टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद । सादर

Comment by Hari Prakash Dubey on February 7, 2015 at 11:45pm

आदरणीय मिथिलेश भाई , आपका बहुत बहुत आभार , आपके मार्गदर्शन से एक पंक्ति बढ़ा  दी है , धन्यवाद आपका ! सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 5:32pm

आदरणीय Anurag Goel जी आपका बहुत - बहुत धन्यवाद

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 5:25pm

आदरणीय विश्वराज भाई,बहुत -बहुत धन्यवाद आपका !

Comment by Hari Prakash Dubey on February 5, 2015 at 5:10pm

आदरणीय Er. Ganesh Jee "Bagi  सर आपकी उत्साहवर्धक और प्रेरणादायी टिप्पणी के लिए हृदय से धन्यवाद आभार। सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2015 at 4:12pm

बहुत सुंदर, आदरणीय हरिप्रकाश जी. सब कुछ समय ही है. बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2015 at 1:30pm

आदरणीय हरि भाई , सभी का यही हाल है , समय नचाता है , हम नाचते हैं । सुन्दर रचना लगी ! बधाइयाँ ।

Comment by savitamishra on February 4, 2015 at 10:14am

बहुत ही सुन्दर पंक्तियाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
yesterday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
yesterday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service