For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


हुई क्‍यों दूर दिल से मैं मिले फुरसत बता देना
बनाना इक कहानी तुम मुझे फिर वो सुना देना

बनी दुल्‍हन चली आई सजन मैं साथ में तेरे
करोगे प्‍यार मुझको तुम यही अरमान थे मेरे
मगर टूटे सभी अरमा जला दिल मैं दिखाऊँ क्‍या
नजर के पास रह कर भी बढी दूरी बताऊँ क्‍या
न आना पास अब मेरे सभी सपने जला देना
बनाना इक कहानी तुम मुझे फिर वो सुना देना
हुई क्‍यों दूर दिल से तुम मिले फुरसत बता देना

मिला है तन तुझे मेरा नहीं क्‍यों मन लिया तुमने
कभी भी प्‍यार के इक पल नहीं मुझको दिया तुमने
दिया तुमने हवेली जो नहीं है काम की मेरे
न ये दौलत कभी देगी खुशी जो प्‍यार में तेरे
मुझे बस प्‍यार देकर तुम किया वादा निभा देना
बनाना इक कहानी तुम मुझे फिर वो सुना देना
हुई क्‍यों दूर दिल से तुम मिले फुरसत बता देना

समझती हूँ परेशा हो नहीं आराम है तन का
दबे हो काम से इतना नहीं है चैन भी मन का
मगर इतना बता दो तुम रहूँ किसके सहारे मैं
उठा तूँफान दरिया में जाऊँ कैसे किनारे मैं
जरा सा प्‍यार दे फिर से सजन मुझको जिला देना
बनाना इक कहानी तुम मुझे फिर वो सुना देना
हुई क्‍यों दूर दिल से तुम मिले फुरसत बता देना

मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी

Views: 563

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 18, 2015 at 6:52pm

बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक  बधाई  श्री अखंड गहमरी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2015 at 11:25pm

आदरणीय  अखंड भाई , बढ़्या गीत रचना हुई है , 1222 1222 1222 1222 बह्र मे आपके खूब सूरत रचना की है , बधाई ।

उठा तूँफान दरिया में जाऊँ कैसे किनारे मैं  --  इस मिसरे को और देख लें , मात्रा गड़्बड़ है ।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 15, 2015 at 7:55pm

बहुत खूब कहा है .. बनाना इक कहानी तुम मुझे फिर वो सुना देना

हुई क्‍यों दूर दिल से तुम मिले फुरसत बता देना.... हार्दिक बधाई आदरणीय अखंड गहमरी साहब !

Comment by Akhand Gahmari on January 15, 2015 at 4:23pm

आपके मार्गदर्शन के अनुसार उसे संसोधन करने की कोशिश किया आदरणीय मिथिलेस वामनकर जी सादर नमन स्‍वीकार करें

Comment by Akhand Gahmari on January 15, 2015 at 4:20pm

उठा तूफान दरिया में नहीं पहुची किनारे मैं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 15, 2015 at 3:22pm
आदरणीय अखंड जी 1222x4 खूब निभाया है। सुन्दर गीत हुआ है। बधाई।
जाऊँ कैसे किनारे मैं। इसमें मात्रा के हिसाब से देख लीजियेगा।
Comment by Akhand Gahmari on January 15, 2015 at 1:29pm

आपके आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन से सफलता की राह निकली है आदरणीय डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्‍वत जी चरण स्‍पर्श स्‍वीकार करें

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 15, 2015 at 12:47pm

प्रिय गहमरी जी

बहुत अच्छी भाव भरी कविता आपने लिखी है i आपको बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
4 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
8 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
15 hours ago
Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
23 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
yesterday
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service