For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,, गुमनाम पिथौरागढ़ी

212 212 22

ज़िन्दगी अपनी छोटी है

बस जरा सी ये खोटी है

हादसों को बुरा मत कह

यार  मेरा  लंगोटी  है

चाँद कहते महल वाले

झोपड़ी कहती रोटी है

इस सियासत की चौपड़ में

स्वार्थ की फैली गोटी है

झूठ की सत्य की देखो /p>

हो गई बोटी बोटी है

मौलिक व अप्रकाशित

 गुमनाम पिथौरागगढ़ी

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 17, 2015 at 5:54pm
शुक्रिया दोस्तों आपकी सलाह व सुझाव का शुक्रिया
Comment by भुवन निस्तेज on January 16, 2015 at 8:26am
वाह भाई हमेशा की ही तरह एक बेहतरीन ग़ज़ल पेश की आपने....बधाई हो!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 15, 2015 at 10:36pm

आदरणीय गुमनाम भाई , गज़ल बहुत अच्छी हुई है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 15, 2015 at 12:51pm

आ० गुमनाम जी

हरि प्रकाश जी का समर्थन करते हुए आपके सुन्दर प्रयास की प्रसंशा भी करता हूँ  i सादर i

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 15, 2015 at 12:05pm

शुक्रिया दोस्तों आपकी सलाह व सुझाव हमेशा प्रेरणा देते हैं हरी प्रकाश जी जरूर ऐसा किया जा सकता है शुक्रिया .........

Comment by khursheed khairadi on January 15, 2015 at 11:47am

आदरणीय गुमनाम जी सुन्दर ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें |सादर अभिनन्दन |

Comment by Rahul Dangi Panchal on January 15, 2015 at 11:11am
सुन्दर गजल आदरणीय बधाई हो
Comment by Shyam Narain Verma on January 15, 2015 at 9:55am

इस सुन्दर ग़ज़ल पर दाद कबूलें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 14, 2015 at 10:26pm

आदरणीय गुमनाम जी सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई ... बाकि गुनिजन ही बताएँगे 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 14, 2015 at 8:10pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी...........झूठ की आज देखो तो

हो गई बोटी बोटी है.... इसमें झूठ की जगह सत्य या सच हो जाता तो ? बस एक जिज्ञासा ....बाकी सुन्दर रचना ! दिल से बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service