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ग़ज़ल -- नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं। ( इस्लाह हेतु )

221-2121-1221-212

नफ़रत नहीं तो उस से मुझे प्यार भी नहीं.
मेरे लिए वो शख़्श मगर अजनबी नहीं।

दुनिया में बुतपरस्त फ़क़त मैं नहीं ख़ुदा.
तेरे जहाँ में आशिक़ों की कुछ कमी नहीं।

कुछ तो मेरा नसीब ही सहरा की धूप है.
उस पर तुम्हारे प्यार की बौछार भी नहीं।

सहरानवर्द दिल है मिरा आप के बग़ैर.
जब से गए हैं आप मेरी ज़िन्दगी नहीं।

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं।

इतना न ग़ौर से मुझे सुनते सभी यहाँ.
करता मैं आज दिल से अगर शायरी नहीं।

रोते हुओं को तुमने हँसाया है कब 'दिनेश'
इस वजह् भी नसीब में तेरे खुशी नहीं।

-- दिनेश कुमार ०९/०१/२०१५

( मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment by khursheed khairadi on January 11, 2015 at 7:09pm

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा.
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं।

इतना न ग़ौर से मुझे सुनते सभी यहाँ.
करता मैं आज दिल से अगर शायरी नहीं।

आदरणीय दिनेश जी ,सभी अशहार नायाब हैं |उम्दा ग़ज़ल हुई है |सादर अभिनन्दन 

Comment by मोहन बेगोवाल on January 11, 2015 at 6:15pm

 बहुत उम्दा गजल , बधाई हो 

Comment by दिनेश कुमार on January 10, 2015 at 10:53pm
Shukriya Ajay sharma sir ji...
Comment by ajay sharma on January 10, 2015 at 10:44pm

bahut khoob ....gazal hui hai ..mujhe bahut acchhi lagi 

Comment by दिनेश कुमार on January 10, 2015 at 6:32pm
शुक्रिया हौसला अफजाई के लिए आ. Dr Gopal Shrivastav ji, bhai Hari prakash ji,bhai Gumnaam ji.
Comment by दिनेश कुमार on January 10, 2015 at 6:30pm
शुक्रिया भाई मिथिलेश जी। मकता बदल दूँगा। हौसला अफजाई का शुक्रिया।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 10, 2015 at 6:23pm


दुनिया में बुतपरस्त फ़क़त मैं नहीं ख़ुदा
तेरे जहाँ में आशिक़ों की कुछ कमी नहीं

वाह खूब बहुत बधाई स्वीकारें

Comment by Hari Prakash Dubey on January 10, 2015 at 5:52pm

प्यालों को तोड़ कर दिल ए बेज़ार कह उठा
जामे अजल नहीं तो कोई मयकशी नहीं......सुन्दर रचना , बधाई आपको  दिनेश कुमार जी !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 10, 2015 at 2:09pm

दिनेश जी

अच्छी गजल कही आपने  i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 10, 2015 at 12:51pm
221 2121 1221 212 वज़्न भी लिख दे दिनेश भाई जी
ग़ज़ल उम्दा हुई है हार्दिक बधाई।
मतला अच्छा हुआ है। सभी अशआर उम्दा है।
मक़्ता देख लीजिये दिनेश भाई जी ग़ज़ल में बाकी अशआर से हल्का लग रहा है मक़्ता।

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