For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल-दोस्ती कैसे निभाएं कोई पैमाना कहाँ है

(2122      2122      2122    2122)

दोस्ती कैसे  निभाएं  कोई   पैमाना  कहाँ  है

हीर रान्झू का नया सा आज अफ़साना कहाँ है

 

प्यार से ही जो बदल दे हर अदावत की फ़जा को

संत मुर्शिद सूफ़ी मौल़ा ऐसा  मस्ताना कहाँ है

 

ख़ुद गरज नेता वतन का तो करेंगे वो भला क्या

मार हक़ फिर  देखते हैं वो कि नजराना कहाँ है

 

अंजुमन में रिन्दों की भी बैठ कर देखें जरा हम

हाल सब का पूछते वो कोई अनजाना  कहाँ है

 

हर ख़ुशी कुर्बान कर दे खुद वतन के वास्ते जो

पासवां सरहद का ऐसा और   परवाना कहाँ है

 

बाँट दे मज़हव भले ही इंसान  को ही टोलियाँ में

थाम ले  गिरते हुए को वो तो बेगाना  कहाँ है

 

है इनायत जिस की हर दम और चारों ओर'कंवर'

 ढूंढ लें दैरो-हरम भी उसका दीवाना कहाँ है

 

(मौलिक व अप्रकाशित )    

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कंवर करतार on January 1, 2015 at 8:12pm

भाई सोमेश,ग़ज़ल की सराहना के लिए धन्याबाद I


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 1, 2015 at 8:02am

आदरणीय डॉ कंवर करतार खंदेह्ड़वी जी प्रयास हेतु बधाई, बाकी खुर्शीद जी ने तो कह ही दिया है

Comment by Hari Prakash Dubey on December 31, 2014 at 7:44pm

आदरणीय डॉoकंवर करतार खंदेह्ड़वी जी

ख़ुदगरज नेता इस वतन का करेंगे भला क्या

मार हक़ जो देखते हैं कि नजराना कहाँ है...बहुत खूब ,इस रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ! सादर 

Comment by khursheed khairadi on December 31, 2014 at 11:38am

आदरणीय करतार साहब खुबसूरत ग़ज़ल हुई है ,ढेरों दाद कबूल फरमावें |भावपक्ष काफ़ी प्रबल है 

तक्ती  लगभग सभी मिसरों में गड़बड़ा रही है  एक दो उदाहरण दे रहा हूं ,जिससे आप बाकि मिसरे भी देख लें |आशा है आप अन्यथा न लेंगे और मंच के अग्रजों की इस्लाह से और निखर जायेंगे |

कोई दोस्ती निभा सके वो ज़माना कहाँ है= 21-21  2-1-2  12   2-12 2  1-2 2

मोड़ दे जो कलाम से भी अदाबतों के तूफां = 2122 1212 2121 2122

संत सूफ़ी मुर्शिद मौल़ा  मस्ताना कहाँ है= 2122  22 22 22 2122 

कृपया मन में किसी प्रकार का नकारात्मक भाव न लाते हुये आप अनुज पर बड़े भाई की तरह स्नेह बनाये रखेंगे |सादर अभिनन्दन  

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 31, 2014 at 10:26am
बहुत खूब, सुन्दर। बधाई , आदरणीय डॉoकंवर करतार खंदेह्ड़वी जी , सादर।
Comment by Shyam Narain Verma on December 31, 2014 at 10:14am

बहुत खूब .... शानदार ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई ................

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 31, 2014 at 9:36am
बहुत सुन्दर गजल आदरणीय!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 31, 2014 at 12:59am

आदरणीय  डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी' जी इस सुन्दर भावपूर्ण रचना प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई 

रचना के शिल्प पर मंच के गुनिजन ही बताएँगे.

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 11:24pm

शायद आपकी पहली गज़ल से गुज़र रह हूँ / हर शे'र  अच्छे लगे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
45 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service