For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मेरी रचना" (अतुकान्त-कविता )

"मेरी रचना"    

                                                          

देखते-दिखाते

कभी सुनते-सुनाते

चलते –चलाते

कभी पढ़ते-पढ़ाते

कुच्छ करते-कराते

कभी बतियाते

न जाने कब यह  मन

पहुँच जाता कहां है

किसी देवता के

खेल चढ़े गुर की तरह

संबेदनाओं की टंकार से  

हो कर सम्पदित

द्रबित मन

यादों के ढेर पर से

काल की धूली हटाता

चपल भावों की लहरें

शब्दों के पतवार

वाक्यों की हिलोरें

हों जीव-निर्जीव कोई

चीन्हें- अचीन्हें

मन वीणा के तारों को

जो छू लें  

उठें हुलासे

खुद को भूलें

फिर

विस्मय ,व्यथा ,करुणा,आस्था

आदि संवेगों  के झोंके  

या बिरह बेदना के

गीत गुन्जें

जो हंसाएं रुलाएं ऊँघाएं किसी को

रिझाएं खिझाएं रुसाएं किसी को

बने गज़ल कविता या

फिर कोई कहानी

ऐसे रचना मेरी में

पिरोती जाती

लिख-लिख लिखती मेरी लेखनी

कई आयाम घड़े हैं

भौतिकता के अब तक

छूए हैं कई दुर्गम्य शिखर

पाए हैं कई मुकाम अब तक

आशक्त रह कर जिन से मुझ को

मिले हैं क्षणिक

निमेष मात्र सुख

पर अंततः मिले हैं

दुःख और दुःख

पर तू तो है मुझको

सभी आयामों से भी चढ़ कर

सभी मुकामों से भी बढ़ कर

सभी संम्बधों से परे हट कर

जब जब भी हूँ पढ़ता तुझको

न जाने कहीं मैं खो कर

स्वप्नलोक में पाकर

भूल जाता हूँ

खुद ही खुद को

अश्क बहें बेशक आँखों से

पर है मिलता मुझको

सदा चैन-सुकून

तपती भू पर जैसे

बरसे पानी

देती सत्वर तू है

अन्तस्थ में मुझको

परम सुख और जुनून

अब चाह यही है तू सदा

बुन-बुन बाना बनती रहे

फिर फिर बन ठन कर

नये रूपों में संबरती रहे

मेरे प्राणों की लय तक

सदा कल कल सरिता सी बहती रहे

सरस सरस कुच्छ कहती रहे I

 

(मौलिक एवम् अप्रकाशित )

कंवर करतार 'खन्देह्ड़बी'

Views: 513

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कंवर करतार on January 6, 2015 at 1:28pm

सोमेश भाई ,उत्साह बर्धन के लिए शुक्रिया I

Comment by somesh kumar on January 6, 2015 at 11:00am

मेरी रचना का ये सरस भाव ,सभी सृजनकर्ता के भावों का ही प्रस्तुतिकरन  है ,सभी ऐसा ही महसूस करते हैं ,इस रचना पर बधाई 

Comment by कंवर करतार on January 4, 2015 at 9:42pm

श्री युत् बागी जी ,सुझाब के लिए धन्यबाद Iआप जैसे प्रबुद्ध साहित्यकारों से बहुत कुच्छ सीखने को मिलेगा I

Comment by कंवर करतार on January 4, 2015 at 9:28pm

भाई दुवे जी ,धन्यबाद Iसादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 4, 2015 at 7:26pm
सुन्दर रचना की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 4, 2015 at 4:02pm

//देखते-दिखाते

कभी सुनते-सुनाते

चलते – चलाते

कभी पढ़ते-पढ़ाते

कुछ करते-कराते

कभी बोलते बतियाते

न जाने कब यह मन

पहुँच जाता है कहाँ //

आदरणीय डॉ साहब, अतुकांत कविता पर एक सार्थक प्रयास हुआ है, कुछ टंकण त्रुटियाँ परिलक्षित हो रही हैं, देख लीजियेगा, कुछ और बार इस प्रस्तुति को पढ़ने से और सुगढ़ता की जगह बन सकती है. बहुत बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर.

Comment by Hari Prakash Dubey on January 4, 2015 at 3:12pm

इस रचना पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ.कंवर करतार 'खन्देह्ड़वी जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service