For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो प्रिय है -डा० विजय शंकर.

कोई सच प्रिय है
कोई सच अप्रिय है
कोई कोई तो कटु है |
सच तो सच है ॥
सच है, इसीलिये तो सच है |
और इसीलिये तो, है ॥

झूठ वो है जो नहीं है ,
फिर भी है , क्योंकि
हम मान रहे हैं, कि है,
हम इसलिए मान रहे हैं
क्यों कि वह हमको प्रिय है ॥

हमको क्या प्रिय है,
वो झूठ , जो है नहीं ,
जो है नहीं , कहीं नहीं
वह हमको प्रिय है ॥
जो है नहीं वो हमको
प्रिय कैसे हो सकता है ||

वो क्या है जो हमें
प्रिय है और है नहीं ,
वो कौन सी चाहत है ,
वो कौन सी कल्पना है ,
हम उसे साकार क्यों नहीं कर लेते हैं ,
क्यों नहीं उसे सत्य का रूप दे देते हैं ,
क्यों नहीं हम प्रिय को सत्य कर लेते हैं ,
प्रिय को हम सत्य क्यों नहीं कर लेते हैं

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 693

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 4, 2014 at 5:33pm

आदरणीय छाया शुक्ला जी ,आपने रचना के दार्शनिक भाव को स्वीकार किया , आभार.
आपकी सद्भावनाओं के लिए सादर धन्यवाद।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 4, 2014 at 5:28pm

आदरणीय डॉo प्राची सिंह जी , असत्य से लिपटे रहने और अपने भ्रम को स्थापित करने के प्रयासों से तो यही अच्छा है कि जो प्रिय एवं इच्छित उसे ही लोग साकार करने में लोग लगें . आपने रचना के दार्शनिक भाव को स्वीकार किया। आभार। 
बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 4, 2014 at 5:20pm

आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी ,आपने रचना के दार्शनिक भाव को स्वीकार किया , आभार.
आपकी सद्भावनाओं के लिए सादर धन्यवाद।

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 3, 2014 at 6:42pm

रचना को स्वीकार करने एवं पसंद करने के लिये आभार आदरणीय आलोक मित्तल जी.
प्रशस्ति के लिए सादर धन्यवाद।

Comment by Alok Mittal on November 3, 2014 at 4:49pm

बहुत सुंदर रचना है आपकी डॉ. विजय जी ...

कोई सच प्रिय है
कोई सच अप्रिय है
कोई कोई तो कटु है |
सच तो सच है ॥
सच है, इसीलिये तो सच है |
और इसीलिये तो, है ॥..........बहुत सुंदर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 3, 2014 at 11:36am

आदरणीय डॉ० विजय शंकर 

प्रिय को ही सत्य बना लेने के रहस्य को जान पाने की जुगुप्सा के चलते सत्य और असत्य को विवेचित करने का एक दार्शनिक प्रयास हुआ है 

हार्दिक बधाई 

Comment by khursheed khairadi on November 3, 2014 at 10:35am

क्यों नहीं हम प्रिय को सत्य कर लेते हैं ,
प्रिय को हम सत्य क्यों नहीं कर लेते हैं

आदरणीय विजयशंकर जी ,अच्छी दार्शनिक रचना हुई है |सादर अभिनन्दन 

Comment by Chhaya Shukla on November 1, 2014 at 6:30pm

दार्शनिक भाव खूब मंथन के साथ कथ्य को प्रमाणित किया है अपने "सुनिए सबकी करिये मन की याद दिला गया " साधुवाद आपको आ.  विजय शंकर जी सादर नमन !

Comment by Dr. Vijai Shanker on November 1, 2014 at 4:03pm

निसंदेह , आपको धन्यवाद , आपने उस गहराई तक जाने का समय दिया और रचना के मूल भाव को स्वीकार किया। आभार।
आपकी बधाई के लिए ह्रदय से धन्यवाद आदरणीय सुशील सरना जी।

Comment by Sushil Sarna on November 1, 2014 at 1:36pm

झूठ और सत्य के दार्शनिक भावों को आपने बड़ी ख़ूबसूरती से इस रचना में चित्रित किया है।  पाठक रचना की गहराई तक स्वयं को ले जाने की चेष्टा करता है यही इसकी सफलता है।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय डॉ विजय शंकर जी। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service