For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रथम प्यार की आस में

मैने किया प्रयास
सजनी एट्टीट्यूड में
तनिक न डाले घास

पोथी पढ़कर प्यार की
तनिक न असर बुझाय
जब-जब भी कोशिश किया
चप्पल-जूताखाय


हर महफिल हर रंग में
चेहरा जिसका भाय
उसने राखी बाँध के
भाई लिया बनाय


घरवालों की मान के
डाल दिया जयमाल
दो दो मेरे सालियाँ
पकड़ के खीचें गाल

मारा-मारा फिर रहा
जबसे हुआ विवाह
बीबी ऐसी मिल गई
रहती बेपरवाह

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 738

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:30pm

आदरणीय राहुल जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 4, 2014 at 11:58am
बहुत खूब
Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 4:00pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर अभिवादन, दोहे का पूर्ण ज्ञान न होने के कारण इसे मैने तुकांत कहना ही ठीक समझा, फिर भी आपने त्रुटियों को सुधार कर दोहे का पूर्ण रुप दे दिया जो उत्साहित करता है कि दोहे पर भी प्रयास कर सकता हूँ। दोहे में जितनी भी चूक हुई है, आपके बताए अनुसार सही कर ले रहा हूँ।
रचना पर अपना मुल्यवान समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,
यूँ ही सस्नेह मार्गदर्शन करते रहिएगा, हृदय से आभार!

Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 3:52pm

आदरणीय आलोक जी सादर अभिवादन, प्रशंसा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 3:50pm

आदरणीय जितेन्द्र भईया सादर अभिवादन, सस्नेह शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद, हृदय से आभार।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2014 at 10:57am

अच्छा हास्य हुआ है श्री पवन कुमार जी, तुकांत तो ठीक है पर लगता है आपने दोहे रचने का प्रयास किया है |अगर ये 

दोहे है तो मात्रा भार की गणना में चूक हुई लगती है, कृपया देख ले -

पहले प्यार की आस में -  14 मात्राए है | इसे - "प्रथम प्यार की आस में"  कर सकते है 

मैने किया प्रयास
सजनी एट्टीट्यूड में
तनिक न डाले घास

प्यार की पोथी पढ़ लिया- 14 मात्राए है - इस " पोथी पढ़कर प्यार की" कर सकते है 
तनिक न असर बुझाय
जब-जब भी कोशिश किया
चप्पल-जुता खाय----------- जूता करले 


हर महफिल हर रंग में
चेहरा जिसका भाय
उसने राखी बाँध के
भाई लिया बनाय


घरवालों की मान के
डाल दिया जयमाल
बन गई दो-दो सालियाँ  -  14 मात्राएँ हो रही है | इसे " दो दो मेरे सालियाँ" कर सकते है 
पकड़ के खीचें गाल

मारा-मारा फिर रहा
जबसे हुआ विवाह
बीबी ऐसी मिल गई
रहती है बेपरवाह------- इससमे 13 मात्राएँ है | सम चरों में 11 मात्राए हो | इस "रहती बेपरवाह"करना उचित होगा 

सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई 

Comment by Alok Mittal on October 14, 2014 at 1:37pm

बहुत ख़ूब ....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 13, 2014 at 11:27pm

बहुत ही हास्यप्रद रचना. बधाई पवन भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागत है"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
Thursday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Apr 14

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Apr 13

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service