For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रथम प्यार की आस में

मैने किया प्रयास
सजनी एट्टीट्यूड में
तनिक न डाले घास

पोथी पढ़कर प्यार की
तनिक न असर बुझाय
जब-जब भी कोशिश किया
चप्पल-जूताखाय


हर महफिल हर रंग में
चेहरा जिसका भाय
उसने राखी बाँध के
भाई लिया बनाय


घरवालों की मान के
डाल दिया जयमाल
दो दो मेरे सालियाँ
पकड़ के खीचें गाल

मारा-मारा फिर रहा
जबसे हुआ विवाह
बीबी ऐसी मिल गई
रहती बेपरवाह

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 759

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on November 6, 2014 at 2:30pm

आदरणीय राहुल जी सादर अभिवादन, प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by Rahul Dangi Panchal on November 4, 2014 at 11:58am
बहुत खूब
Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 4:00pm

आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी सादर अभिवादन, दोहे का पूर्ण ज्ञान न होने के कारण इसे मैने तुकांत कहना ही ठीक समझा, फिर भी आपने त्रुटियों को सुधार कर दोहे का पूर्ण रुप दे दिया जो उत्साहित करता है कि दोहे पर भी प्रयास कर सकता हूँ। दोहे में जितनी भी चूक हुई है, आपके बताए अनुसार सही कर ले रहा हूँ।
रचना पर अपना मुल्यवान समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद,
यूँ ही सस्नेह मार्गदर्शन करते रहिएगा, हृदय से आभार!

Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 3:52pm

आदरणीय आलोक जी सादर अभिवादन, प्रशंसा हेतु बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by Pawan Kumar on October 16, 2014 at 3:50pm

आदरणीय जितेन्द्र भईया सादर अभिवादन, सस्नेह शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद, हृदय से आभार।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 15, 2014 at 10:57am

अच्छा हास्य हुआ है श्री पवन कुमार जी, तुकांत तो ठीक है पर लगता है आपने दोहे रचने का प्रयास किया है |अगर ये 

दोहे है तो मात्रा भार की गणना में चूक हुई लगती है, कृपया देख ले -

पहले प्यार की आस में -  14 मात्राए है | इसे - "प्रथम प्यार की आस में"  कर सकते है 

मैने किया प्रयास
सजनी एट्टीट्यूड में
तनिक न डाले घास

प्यार की पोथी पढ़ लिया- 14 मात्राए है - इस " पोथी पढ़कर प्यार की" कर सकते है 
तनिक न असर बुझाय
जब-जब भी कोशिश किया
चप्पल-जुता खाय----------- जूता करले 


हर महफिल हर रंग में
चेहरा जिसका भाय
उसने राखी बाँध के
भाई लिया बनाय


घरवालों की मान के
डाल दिया जयमाल
बन गई दो-दो सालियाँ  -  14 मात्राएँ हो रही है | इसे " दो दो मेरे सालियाँ" कर सकते है 
पकड़ के खीचें गाल

मारा-मारा फिर रहा
जबसे हुआ विवाह
बीबी ऐसी मिल गई
रहती है बेपरवाह------- इससमे 13 मात्राएँ है | सम चरों में 11 मात्राए हो | इस "रहती बेपरवाह"करना उचित होगा 

सुंदर अभिव्यक्ति के लिए बधाई 

Comment by Alok Mittal on October 14, 2014 at 1:37pm

बहुत ख़ूब ....

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 13, 2014 at 11:27pm

बहुत ही हास्यप्रद रचना. बधाई पवन भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
15 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। सार्थक टिप्पणियों से भी बहुत कुछ जानने सीखने को…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. भाई बृजेश जी, सादर अभिवादन। गीत का प्रयास अच्छा हुआ है। पर भाई रवि जी की बातों से सहमत हूँ।…"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

अच्छा लगता है गम को तन्हाई मेंमिलना आकर तू हमको तन्हाई में।१।*दीप तले क्यों बैठ गया साथी आकर क्या…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। यह रदीफ कई महीनो से दिमाग…"
Tuesday
PHOOL SINGH posted a blog post

यथार्थवाद और जीवन

यथार्थवाद और जीवनवास्तविक होना स्वाभाविक और प्रशंसनीय है, परंतु जरूरत से अधिक वास्तविकता अक्सर…See More
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
Monday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service