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तेरे कूंचे से यूं खामोश गुजरकर मैंने

2122   1122   1122  22

तेरे कूंचे से यूं खामोश निकलकर  मैंने 

तेरे दीदार किये रूप बदलकर मैंने 

इक हिमालय  की तरह तुमसे मिला था लेकिन

 पाँव  अब चूम लिए तेरे पिघलकर मैंने 

 भौरों कलियों कि कभी  बात न मुझसे करना 

उम्र अब तक तो है काटी यूं बहलकर मैंने 

आजमाया है हुनर आज किसी बच्चे का

उनसे दिल मांग लिया उनका मचलकर मैंने  

दिल की चाहत तो है इजहारे मुहब्बत करना 

बात पर तुझसे सदा ही कि संभलकर मैंने 

क्या है परवानो का अंजाम पता है मुझको

फिर भी लव चूम लिए खाक में मिलकर मैंने 

 

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 10, 2014 at 2:32pm

आदरणीय शिज्जू जी ..आपके मशविरे पर अमल करते हुए सुधार करने की कोशिस करूंगा ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by somesh kumar on October 9, 2014 at 9:20pm

आजमाया है हुनर किसी बच्चे का 

उनसे दिल मांग लिया उनका मचल कर मैंने 

 सादगी भरी दिलको छू लेने वाली गज़ल 

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 9, 2014 at 9:02pm
शानदार प्रस्तुति . बधाई आदरणीय डॉo आशुतोष मिश्रा जी .

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 9, 2014 at 7:40pm

//आजमाया है हुनर आज किसी बच्चे का

उनसे दिल मांग लिया उनका मचलकर मैंने // वाह बढ़िया शेर है

आदरणीय डॉ आशुतोष सर वैसे रचना तो अच्छी है लेकिन ईता दोष आपकी मेहनत पर पानी फेर रहा है नज़रे सानी कर लें।

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