For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रेम धुन

प्रिय मोहन
नाचत मन राधा
वेणुका धुन

विरह

टूटती आस
साजन घर नाहीं
फागुन मास

बुरी प्रथा

लोभी इंसान
लाचार हुआ बाप
लौटी बारात

डर

रात पहर
गरज रहें मेघा
सहमे मन


मजबूरी

यहाँ से वहाँ
आज कुछ ना मिला
भूखा सो गया

कृष्ण जन्म

भादो की रैना
मन में उत्सुकता
भयो जनम्

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pawan Kumar on September 4, 2014 at 10:07am

"""आदरणीय  गिरिराज भंडारी  जी, सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! """


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2014 at 4:01pm

आदरणीय पवन भाई , सभी हाइकु सुन्दर रचे हैं , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें |

Comment by Pawan Kumar on August 28, 2014 at 5:58pm

"आदरणीया सविता मिश्रा जी  सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 

Comment by Pawan Kumar on August 28, 2014 at 5:53pm

"" आदरणीय सुरेन्द्र जी, प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।"" "

Comment by savitamishra on August 27, 2014 at 9:49pm

बहुत बढ़िया

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 27, 2014 at 6:59pm

यहाँ से वहाँ
आज कुछ ना मिला
भूखा सो गया

सुन्दर हाइकु ........बधाई  पवन जी 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:06pm

" आदरणीय श्याम नरायन वर्मा जी, प्रोत्साहन हेतु बहुत बहुत धन्यवाद ।"" 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:03pm

""आदरणीया राजेश कुमारी जी  सादर अभिवादन! प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार! 

Comment by Pawan Kumar on August 27, 2014 at 5:00pm

आदरणीय डा0 गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सादर अभिवादन.....
आप सबके उत्साहवर्धन से बहुत बल मिलता है .... और हमेशा कोशिश रहेगी कि कोशिशें जरिये-अल्फाज़ नुमायाँ हो।

Comment by Shyam Narain Verma on August 27, 2014 at 10:20am
" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service