For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिसकियाँ (लघुकथा)

माँ सोनी के कमरे से खूब रोने चीखने की आवाजें आ रही थी, १४ साल की राधा भयभीत हो रसोई में दुबकी रही, जब तक पिता के बाहर जाने की आहट ना सुनी ! बाहर बने मंदिर से पिता हरी की दुर्गा स्तुति की ओजस्वी आवाज गूंजने लगी! भक्तों की "हरी महाराज की जय" के नारे से सोनी की सिसकियाँ दब गयी! पिता के बाहर जाते ही माँ से जा लिपट बोली "माँ क्यों सहती हो?" सोनी घर के मंदिर में बिराजमान सीता की मूर्ति देख मुस्करा दी! अपने घाव पर मलहम लगाते हुए बोली, "मेरा पति और तेरा पिता हैं, तू बहुत छोटी है, नहीं समझेगी|"

.
सविता मिश्रा

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 853

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 7:52pm

महिमा sis आभारी है हम ...सहीं कहा आपने माँ का दर्द बेटियां ही तो समझती है

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 7:51pm

सादर नमस्ते आदरणीय विजय भैया .......अपने कहानी को समय दिया और मर्म को समझा आभार आपका व्यक्त करते है यूँ ही अपना स्नेह बनाये रक्खें

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 7:49pm

आदरणीय गोपाल चाचाजी सादर नमस्ते............दिल की गहराइयों  से आभार आपका

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 7:48pm

राजेश दी सादर नमस्ते ....ओह ऐसी परम्पराएँ आज भी चल रही है दुखद बहुत ज्यादा ही दुखद ! तहेदिल से आभार दीदी जो आपको कहानी पसंद आई हमारी

Comment by savitamishra on August 25, 2014 at 7:44pm

पवन बेटा शुक्रिया आपका तहेदिल से

Comment by MAHIMA SHREE on August 25, 2014 at 7:41pm

बहुत ही हर्द्यस्पर्शी सच्ची तस्वीर .. बेटियाँ हमेशा से माँ के दर्द को समझती हैं और भावनात्मक संबल भी देती हैं ...बहुत -२ बधाई 

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 25, 2014 at 5:55pm
विरोध के स्वर बढ़ती उम्र वालों से ही सुनाई देते हैं , पर उन्हें सार्थक स्वरुप तो प्रौढ़ और परिपक्क्व ही दे सकते हैं , कथा चेतना के स्वर सुनती है , पर स्थापित परम्पराओं को बदले कौन ? वइसे बगावत के स्वर भी शून्य नहीं हैं। यत्र-तत्र मिल ही जाते हैं . इस लेखन के लिए बधाई , आदरणीय सविता मिश्रा जी ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 25, 2014 at 5:45pm

आदरणीय

राजेश कुमारी जी ने जो विचार रखे i उससे पूर्ण सहमति  है i  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 25, 2014 at 5:07pm

माँ समझती है बच्ची छोटी है ,किन्तु उसका ये पूछना "माँ क्यूँ सहती हो ?"वक़्त बदलने ,परंपरा बदलने ,अन्याय के खिलाफ़ आवाज उठाने की तरफ एक इशारा है|और ये बदलाव धीरे धीरे समाज में दिखाई भी देने लगा है ....अभी दो तीन दिन पहले गढ़वाल की एक परंपरा की बात हो रही थी जिसमे स्त्री पूरे दिन व्रत रख कर शाम को पति के चरण धोने वाले पानी से व्रत तोडती है ...वही पति अगले दिन उसे मारता पीटता है अतः आज कल की पढ़ी लिखी लड़कियां क्यूँ इस परंपरा को चलाएंगी ?और न ही चलानी चाहिए विरोध करना चाहिए ,आपकी ये लघु कथा बहुत से सवाल खड़े करती है ,जबाब हमे ही ढूढने हैं ,बधाई आपको प्रिय सविता जी.   

Comment by Pawan Kumar on August 25, 2014 at 4:18pm

मार्मिक भावों से परिपूर्ण .....
सुन्दर रचना ...... सादर बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और अच्छे सुझाव के लिए आभार। पाँचवें…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय सौरभ भाई  उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार , जी आदरणीय सुझावा मुझे स्वीकार है , कुछ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थति और उत्साहवर्धक  प्रतिक्रया  के लिए आपका हार्दिक…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service