For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘महिला उत्थान’ मुद्दे पर संगोष्ठी से घर लौटते  ही कुमुद से उसके पति ने कहा... “अभी थोड़ी देर पहले ही दीपा आई थी मिठाई लेकर वो  बहुत अच्छे नम्बरों से पास हुई है  कंप्यूटर कोर्स तो उसका पूरा हो ही गया था,तुम्हारी प्रेरणा और  मार्ग दर्शन से कितना कुछ कर लिया इस लड़की ने हमारे घर में काम करते-करते....  अब सोचता हूँ अपने ऑफिस में एक वेकेंसी निकली है इसको रखवा दूँ “

 कुमुद कुछ सोच कर बोली”अजी इतनी भी क्या जल्दी, वैसे भी सोचो इतनी अच्छी काम वाली फिर कहाँ मिलेगी, फिर तो ये काम करेगी नहीं”!!!

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 716

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 29, 2014 at 9:42pm

आ० अखिलेश जी,लघु कथा आपको पसंद आई हार्दिक आभार आपका | 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on July 24, 2014 at 5:46pm

आदरणीया राजेश जी

दांत दिखाने के और हैं, खाने के कछु  और । समाज में  ऐसे दोहरे चरित्र वालों  की भरमार है । इन्हें समझना भी मुश्किल है।

लघु कथा की हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 24, 2014 at 9:57am

आ० लक्ष्मण प्रसाद जी ,आपको लघुकथा प्रभावशाली लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ ,हार्दिक आभार आपका |

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 24, 2014 at 9:44am

महिला उत्थान की चर्चा ज्यादा और अमल का होते देखा गया है | स्वार्थ वश महिलाए ही महिला उत्थान में बाधा बन रही है 

इसी धारणा को पुष्ट करती सुन्दर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई आद. राजेश कुमारी जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 23, 2014 at 11:10am

लक्ष्मण धामी भैया ,लघुकथा  आपका अनुमोदन पाकर सार्थक हुई दिल से आभार आपका |

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 23, 2014 at 10:59am

आ0 राजेश बहन व्यक्ति के मनोविज्ञान को उजागर करती  इस बेहतरीन लघुकथा के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई  ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 9:25pm

आ० गिरिराज भंडारी जी ,लघु कथा आपको प्रभावपूर्ण लगी मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 22, 2014 at 8:52pm

आदरणीया राजेश जी , दुनिया ऐसी ही है , जब तक खुद को नुक्सान न हो दूसरों की सोच पाती है , जहाँ अपने पर बात आये मुँह मोड़ लेती है ! सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाइयाँ ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 22, 2014 at 7:27pm

आ० सौरभ जी ,लघु कथा पर आपका अनुमोदन मिला मेरा लिखना सार्थक हुआ आपका हृदय तल से आभार |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 22, 2014 at 3:06pm

दोमुँहे चरित्र को कितनी सुन्दरता से शब्द दिये हैं आपने, आदरणीया राजेशजी.

लघुकथा समाज के उस वर्ग की खबर लेती है, जिस वर्ग ने शोषण और प्रताड़नाओं पर भावनाओं का मुलम्मा चढ़ा, इसे सामाजिक व्यवहार बना रखा है.

हृदय से बधाई.. .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service