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ग़ज़ल -चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा

212      212    212     212

रात जगता रहा दिन में सोता रहा

चाँद के ही  सरीखे से होता रहा

 

बादलों की हुकूमत हुई चाँद पर

चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा

 

उल्टे रस्ते ही जब मुझको भाने लगे

बारी बारी से अपनों को खोता रहा

 

रस्म मैंने निभायी नहीं है मगर

दिल में रिश्तों को अपने संजोता रहा

 

जो न मांगा मिला मुझको सौगात में

जिसको चाहा वो मुश्किल से होता रहा

 

मैंने अपने गले से लगाया जिसे

पीठ पर वो ही खंजर चुभोता रहा

 

अमित कुमार दुबे मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by अमित वागर्थ on July 22, 2014 at 3:52pm

आ0 कल्पना दी ग़ज़ल आपको पसंद आयी,लिखना सार्थक हुआ । गरिमामई उपस्थिती हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 20, 2014 at 8:40pm

आपकी संभवतः पहली किसी रचना से गुजर रहा हूँ, भाईजी. 

प्रस्तुतियों का इंतज़ार रहेगा.

शुभेच्छाएँ

Comment by vijay nikore on July 13, 2014 at 4:40pm

//बादलों की हुकूमत हुई चाँद पर

चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा//

वाह..वाह.. क्या ख्याल है !

उम्दा गज़ल के लिए बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 13, 2014 at 9:36am

उल्टे रस्ते ही जब मुझको भाने लगे

बारी बारी से अपनों को खोता रहा

मैंने अपने गले से लगाया जिसे

पीठ पर वो ही खंजर चुभोता रहा

 

बहुत खुबसूरत गजल, यह दो अश आर बहुत पसंद आये. हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीय अमित जी

 

Comment by Sarwesh Kumar Mishra on July 13, 2014 at 12:06am

अच्छा है...

Comment by Santlal Karun on July 11, 2014 at 10:58pm

आदरणीय अमित जी, 

इस अच्छी, सधी हुई ग़ज़ल के लिए हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --

"बादलों की हुकूमत हुई चाँद पर

चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा"


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 10, 2014 at 7:45pm

आ. अतुल भाई . उम्दा गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2014 at 6:59pm

अमित जी

बहुत अच्छी ग जल i

रात जगता रहा दिन में सोता रहा

चाँद के ही  सरीखे से होता रहा

 

बादलों की हुकूमत हुई चाँद पर

चाँद छुपकर अँधेरों में रोता रहा  ------ वाह i

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2014 at 6:53pm

सुंदर गज़ल  के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय अमित जी

Comment by अमित वागर्थ on July 10, 2014 at 6:39pm

बेहद शुक्रिया शिज्जू भाई

कृपया ध्यान दे...

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