For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

है सफ़र में काफ़िला पर रहनुमा कोई नहीं-ग़ज़ल

2122- 2122- 2122- 212

नक्श भी कोई नहीं औ' रास्ता कोई नहीं

है सफ़र में काफ़िला पर रहनुमा कोई नहीं

 

भीड़ चेहरे सिर्फ़ कहने के लिये मौजूद हैं

घूम के देखा मगर मुझको मिला कोई नहीं

 

आशनाई बस ज़रूरत की है रिश्ते नाम के

इनका अब जज़्बात से ही वास्ता कोई नहीं

 

नफ़रतों के ज़ह्र में डूबी ज़बाँ के तीर का

आदमीयत है निशाना दूसरा कोई नहीं

 

सिर्फ़ बातों से बहल जायें यहाँ कुछ लोग तो

सच सुने कोई नहीं सच देखता कोई नहीं

 

साँस में भरता धुआँ काली कबा है गर्द से

उसपे यारो ये सितम पत्ता हरा कोई नहीं

 

 

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 653

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 23, 2014 at 10:38am

आदरणीय सौरभ सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 7:02pm

नफ़रतों के ज़ह्र में डूबी ज़बाँ के तीर का

आदमीयत है निशाना दूसरा कोई नहीं,.. वाह !

ढेर सारी दाद कुबूल करें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 13, 2014 at 12:07pm

आदरणीय निलेश भैया आपका तहेदिल से शुक्रिया आपने तो मेरी हैसियत से बढ़कर उपाधि दे दी :-)

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 11, 2014 at 1:59pm

क्या बात है "उस्ताद" 
बहुत शानदार ग़ज़ल कही है ...
दिल से बधाई.... स्वीकार कीजिये 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 7:34pm

आदरणीया कल्पना जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 7:33pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर रचना को मान देने के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 7:32pm

आदरणीय अमित भाई आपका हार्दिक आभार

Comment by कल्पना रामानी on July 10, 2014 at 7:09pm

गज़ल का हर शेर उम्दा और शानदार है, आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय शिज्जु जी

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2014 at 2:59pm

शिज्जू  भाई

बेहतरीन i बहुत सुन्दर i

आशनाई बस ज़रूरत की है रिश्ते नाम के

इनका अब जज़्बात से ही वास्ता कोई नहीं

 

नफ़रतों के ज़ह्र में डूबी ज़बाँ के तीर का

आदमीयत है निशाना दूसरा कोई नहीं

Comment by अमित वागर्थ on July 10, 2014 at 11:03am

बहुत खूब .... बेहतरीन ग़ज़ल है भाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
4 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
13 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service