For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब से उस युवा चींटे के पँख निकले थे वह हवा बातें करने लगा था. उसने सभी परिजनों और मित्रजनो पर अपने नए नए निकले पँखों का रुआब डालना शुरू कर दिया था, उसका आत्मविश्वास देखते ही देखते आत्ममुग्धता का रूप धारण कर गया। इस बदले हुए स्वरूप को देख देख उसकी माँ रूह तक काँप जाती. लाख समझाने पर भी बेटा यथार्थ के धरातल पर आने को तैयार न हुआ तो एक दिन बूढ़ी माँ ने अपनी बहू को सफ़ेद जोड़ा देते हुए भरे गले से कहा "इसे अपने पास रख ले बेटी।" 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1058

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 10:40pm

गजब अंदाज़ में आपने बहुत ही सटीक बात कही है आदरणीय सर | बहुत बहुत बधाई |

Comment by kanta roy on June 16, 2015 at 11:46pm
कम शब्दों में बहुत बडी बात कह दी आपने सर जी , आत्मविश्वास का रूप जब बिगड़ कर आत्ममुग्धा का स्वरूप धारण कर ले तो पतन निश्चित ही होता है । यहाँ माँ के हाथों सफेद वस्त्र देना बहू को माँ के हृदय में हताशा के क्षणों का अति मर्म उभर कर आता है । नमन आपको सर जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 17, 2014 at 12:53am

 आज के युवावर्ग का सटीक विश्लेषण और एक बहुत बड़ी सीख देती हुई सचेत करनी कथा ..

सार्थक और नितांत आवश्यक उत्कृष्ट रचना ..... बहुत बहुत बधाई सर !


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 2:17pm

आ० सौरभ भाई जी,  सब से पहले तो रचना पर पधारने के लिए आपका हार्दिक आभार। मेरे पँजाबी के प्रोफेसर हुआ करते थे - डॉ दरबारा सिंह जी. उनका कहना था कि गलतफहमी तो कान के नीचे दो लप्पड़ लगाने से हट भी सकती है, लेकिन खुशफहमी ऐसी नामुराद बीमारी है जो चिता तक भी पीछा नहीं छोड़ती। ऐसे खुशफ़हम शोहदों की जनसंख्या जिस रफ़्तार से बढ़ रही है उस से आप भी वाक़िफ़ हैं. बहरहाल, आपकी इस सार्थक प्रतिक्रिया और रचना की सराहना हेतु आपको दिल से धन्यवाद कहता हूँ.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 1:11pm

लघुकथा को मान और समय देने के लिए बेहद शुक्र्गुज़ार हूँ आ० भाई ब्रजेश जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 1:09pm

आ० विजय निकोर जी, आपकी प्रशंसा मेरे लिए बहुत मायने रखती है. आपने जिस तरह मुक्त कंठ से रचना को सराहा, उसके लिए आपका ह्रदयतल से आभार व्यक्त करता हूँ.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 1:06pm

भाई शिज्जू शकूर जी, लघुकथा आपको सार्थक लगी यह जानकर संतोष हुआ, आपका दिल से शुक्रिया।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 12:52pm

आपने रचना की आत्मा को पहचाना है भाई शुभ्रांशु जी. जैसा मैंने पहले भी निवेदन किया है यहाँ सारे पात्र प्रतीकात्मक हैं, भले ही वो नर चींटा हो, उसके पंख हों, उसकी माँ हो या उसकी बीवी। कहने का तातपर्य मात्र इतना ही है कि जब समझने-बुझाने के बावजूद भी कोई अहमक आत्ममुग्धता नामी बीमारी का शिकार होता है तो सफ़ेद लिबास उसकी विधवा प्रतिभा के हिस्से आता है. बहरहाल, लघुकथा पसंद करने हेतु  दिल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 10, 2014 at 12:44pm

आज की ज्वलंत समस्या है जहाँ नवयुवा वर्ग कुछ समझने को तैयार नहीं जब तक बात उनके समझ में आती है देर हो चुकी होती है। आदरणीय योगराज सर इस सार्थक लघुकथा के लिये सादर बधाई स्वीकार करें।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on July 10, 2014 at 12:41pm

अपने बिलकुल सटीक विश्लेषण किया है आ०  डॉ विजय शंकर जी, दिल से आभार। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, एक साँस में पढ़ने लायक़ उम्दा ग़ज़ल हुई है, मुबारकबाद। सभी…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आपने जो सुधार किया है, वह उचित है, भाई बृजेश जी।  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"इतने वर्षों में आपने ओबीओ पर यही सीखा-समझा है, आदरणीय, 'मंच आपका, निर्णय आपके'…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी मंच  आपका निर्णय  आपके । सादर नमन "
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सुशील सरना जी, आप आदरणीय योगराज भाईजी के कहे का मूल समझने का प्रयास करें। मैंने भी आपको…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"अनुज बृजेश  किसे जगा के सुनाएं उदास हैं कितनेख़मोश रात  बिताएं उदास  हैं कितने …"
12 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"ठीक है आदरणीय योगराज जी । पोस्ट पर पाबन्दी पहली बार हुई है । मंच जैसा चाहे । बहरहाल भविष्य के लिए…"
12 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आ. सुशील सरना जी, कृपया 15-20 दोहे इकट्ठे डालकर पोस्ट किया करें, वह भी हफ्ते में एकाध बार. साईट में…"
12 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
12 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"आदरणीय सौरभ सर ओ बी ओ का मेल वाकई में नहीं देखा माफ़ी चाहता हूँ आदरणीय नीलेश जी, आ. गिरिराज जी ,आ.…"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन आपकी प्रेरक प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ ।  इंगित बिन्दुओं पर…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post ग़ज़ल....उदास हैं कितने - बृजेश कुमार 'ब्रज'
"ओबीओ का मेल चेक करें "
20 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service