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बनाया था महल मैनें गजल

1222 1222 1222 122

हमारे प्‍यार को वो अब निभाती भी नहीं है
जलाये क्‍यों हमारा दिल बताती भी नहीं है

लिखा जो गीत उसने वेवफाई पे हमारी
कभी वह गीत हमको तो सुनाती भी नहीं है

बनाया था महल मैनें कभी उनके लिये जो
पड़ा है आज भी सूना जलाती भी नहीं है

बड़े अरमान थे उनसे सजाये जिन्‍दगी में
मगर उनको कभी अब वो सजाती भी नहीं है

करें किससे शिकायत जिन्‍दगी की हम बताओ
कभी भी प्‍यार से मुझको बुलाती भी नहीं है

मौलिक व अप्रकाशित अखंड गहमी

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on May 14, 2015 at 12:07pm

न जाने प्‍यार को मेरे निभाती क्‍यों नहीं है वो
जलाये क्‍यों हमेशा दिल बताती क्‍यों नहीं है वो

लिखी इक गीत वो जिसमे कहा था बेवफा मुझको
मगर वह गीत भी मुझको सुनाती क्‍यो नहीं है वो  


करें किससे शिकायत प्‍यार की अब हम बताओ तुम
जिसे मैं प्‍यार करता हूँ बुलाती क्‍यों नहीं है वो

बनाया हाथ से अपने महल जिनके लिए देखो
पड़ा वह आज भी सूना जलाती क्‍यों नहीं है वो

बडे़ अरमान से जिसने सजाया जिन्‍दगी मेरी
गिरा जब आज फिर से मैं उठाती क्‍यों नहीं है वो

Comment by MAHIMA SHREE on June 19, 2014 at 7:05pm

करें किससे शिकायत जिन्‍दगी की हम बताओ
कभी भी प्‍यार से मुझको बुलाती भी नहीं है... बढ़िया  कहा आपने ... बहुत -२ बधाई आपको सादर

Comment by Sushil Sarna on June 19, 2014 at 6:41pm

वाआआआआआआआअह खूबसूरत ग़ज़ल का हर अशआर खूबसूरत  .... हार्दिक बधाई आदरणीय अखंड गहमी जी 

Comment by Akhand Gahmari on June 19, 2014 at 6:20pm

उत्‍सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्‍पर्श  आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय जितेन्‍द्र गीत जी

Comment by Akhand Gahmari on June 19, 2014 at 6:19pm

उत्‍सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्‍पर्श  आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय गिरिराज भंडारी जी

Comment by Akhand Gahmari on June 19, 2014 at 6:19pm

उत्‍सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्‍पर्श  आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय jijay nikore ji

Comment by vijay nikore on June 19, 2014 at 12:15pm

इस अच्छी गज़ल के  लिए बधाई, आदरणीय अखंड जी।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 19, 2014 at 10:25am

आदरणीय अखंड भाई , मुहब्बत मे पाये गमो को सुन्दर शब्द मिले हैं , अच्छी गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 18, 2014 at 10:45pm

बहुत सुंदर गजल, बधाई आदरणीय अखंड जी

Comment by Akhand Gahmari on June 18, 2014 at 7:25pm

उत्‍सावर्धन एवं मार्गदर्शन के लिये आपको चरण स्‍पर्श  आप का आशीवाद बना रहें आदरणीय डाक्‍टर गोपाल नारायण श्रीवास्‍तव जी

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