For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सूरतों के साथ सीरत भी बदलनी चाहिए - लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

बाद  इसके  भी  बहस  कुछ  और  चलनी चाहिए
सूरतों   के  साथ  सीरत  भी   बदलनी    चाहिए

**

चल  पड़े  माना  सफर  में  बात  इससे कब बनी
लौटने  को   घर   हमेशा   साँझ   ढलनी  चाहिए

**

आ  ही  जायेगा  भगीरथ  फिर  यहाँ  बदलाव को
आस की  गंगा  तुम्हीं  से फिर निकलनी चाहिए

**

है   जरूरी   देश   को   विश्वास   की   संजीवनी
मन हिमालय  में सभी के वो भी फलनी चाहिए

**

ब्याह की बातें  कहो या  फिर कहो तुम देश की
हाथ से  जादा  दिलों  की  रेख  मिलनी चाहिए

**

काम  क्या  परजीविता  का जो सुखाती वृक्ष भी
नफरतों  की  बेल  सबको  ही  कुचलनी  चाहिए

**

हिंदु हो या  हो मुसलमाँ, छोड़  दो  अडि़यलपना
एकता  को  देश   की,  हर शै   बदलनी  चाहिए

**
अब ‘मुसाफिर’ की सभी से बस यही है इल्तिजा
खिड़कियाँ ताजी हवा को अब तो खुलनी चाहिए
***********
2122  2122  2122  212
( रचना-17 मई 2014 )
रचना मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’

Views: 669

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 10:27am

आदरणीय राजेश बहन ग़ज़ल की प्रशंसा और अनमोल सुझाव के लिए हार्दिक बधाई .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 10:26am

आदरणीय भाई शिज्जु जी और भाई बृजेश जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 10:24am

आदरणीय भाई गिरिराज जी उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 10:23am

आदरणीय भाई कँवर करतार जी, नादिर खान जी , मीना बहन , सबिता जी, भाई जितेंद्रजी  और भाई सुरेन्द्र कुमार जी ग़ज़ल की प्रशंसा के लिए आप सभी का हार्दिक धन्यवाद .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 10:21am

आदरणीय भाई सौरभ जी. प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद . आप ने इस ग़ज़ल के सन्दर्भ में माननीय दुष्यंत जी का जो जिक्र किया सच ही किया निश्चित ही इस पर उनकी ग़ज़ल का प्रभाव है . यह मेरा अहोभाग्य है कि आप जैसे विध्वजनों से प्रशंसा मिली .आदरणीया राजेश बहन का सुझाव पहले ही नोट कर लिया था उनका सुझाव उचित है . पुनः हार्दिक आभार .  

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2014 at 9:54am

आदरणीय भाई श्याम नारायण जी , प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2014 at 1:30am

बहुत खूब !

दुष्यंत बार-बार धमक बनाते रहे. लेकिन हम सबके धामीजी के सामने फिर शांत हो ही गये.

आदरणीया राजेश कुमारीजी के सुझाव पर अवश्य ध्यान दें श्रीमान ..

शुभ-शुभ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 27, 2014 at 9:09pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत गज़ल के लिये आपको बधाइयाँ ॥

Comment by बृजेश नीरज on May 27, 2014 at 7:34pm

अच्छी ग़ज़ल है! आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on May 27, 2014 at 2:16pm

इस सुंदर ग़ज़ल के लिए मेरी हार्दिक बधायी स्वीकार करें सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
39 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
43 minutes ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
9 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service