For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नन्हीं सी चिनगारी

निष्प्राण कभी लगता
जीवन
निर्मम समय-प्रहारों से
सूख-बिखरते,बू खोते
सुरभित पुष्प अतीत के.

निश्चेत 'आज' भी होता
भावी शीतल-शुष्क
हवाओं की आहट पाने को.

फिर भी कुछ अंश
जिजीविषा के रहते
गतिमान रखें जो तन को
निरा यंत्र-सा.

जो हेतु बने
दाव,हवन,होलिका के
या अस्तित्व मिटाती
झंझावर्तों में

चिनगारी...
वही एक नन्हीं सी.

द्युतिमान रहूँ मैं भी
हों तूफान,थपेड़े
या ग्रहण छाएं
अस्तित्व पर
तुम्हारी तरह
अंतिम श्वास तक.

-विन्दु
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 827

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Vindu Babu on May 5, 2014 at 5:46am

आदरणीया कल्पना दी,

आपका बहुत शुक्रिया।

सादर

Comment by Vindu Babu on May 5, 2014 at 5:45am

आदरणीय विजय निकोर सर:
यह आपका ही सहयोग और आशीर्वाद है आदरणीय।
यदि रचना पाठक के हृदय में थोड़ी सी भी सम्वेदना फूंकती है तो यह रचनाकार की बहुत बड़ी सफलता है।
आपकी प्रतिक्रिया ने बहुत मनोबल बढ़ाया है आदरणीय..बहुत आभारी हूँ आपकी।
सादर

Comment by Vindu Babu on May 5, 2014 at 5:41am
आदरणीया अन्नपूर्णा दीदी,
आपके सराहना पूर्ण शब्दों के लिए आपको हार्दिक आभार।
सादर
Comment by Vindu Babu on May 5, 2014 at 5:34am

आदरणीया कुंतीमै'म आपने रचना को सुंदर कहा...मुझे अच्छा लगा।

आपको सादर धन्यवाद आदरणीया।

Comment by Vindu Babu on May 4, 2014 at 6:24am
आदरणीया मीना दीदी,
रचना की सराहना के लिए आपको सादर धन्यवाद!
Comment by कल्पना रामानी on May 3, 2014 at 8:25pm

बहुत सुंदर प्रभावी कविता के लिए हार्दिक बधाई आपको

Comment by vijay nikore on May 3, 2014 at 12:07am

आदरणीया विन्दु जी,

तहों से आती ... अतीत, वर्तमान और भावी संवेदनाओं को समेटती आपकी यह रचना अति प्रभावशाली लगी।

पढ़ते-पढ़ते मन बिखरता गया, मन सिमटता गया और मैं उसे द्युतिमान चिनगारी से प्रोत्साहित करता रहा।

आपको इस रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीया। ऐसे ही लिखती रहें। सादर।

Comment by annapurna bajpai on May 2, 2014 at 11:39pm

सुंदर भाव पूर्ण रचना । प्रिय वंदना , बधाई इस सुंदर रचनाकर्म  के लिए । 

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 3:13am

सुंदर रचना के लिये हार्दिक बधाई.

Comment by Meena Pathak on May 1, 2014 at 1:16pm

बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
22 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
25 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
36 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
2 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सौरभ पाण्डेय, इस गरिमामय मंच का प्रतिरूप / प्रतिनिधि किसी स्वप्न में भी नहीं हो सकता, आदरणीय नीलेश…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर सर,वैसे तो आपने उत्तर आ. सौरब सर की पोस्ट पर दिया है जिस पर मुझ जैसे किसी भी व्यक्ति को…"
4 hours ago
Samar kabeer replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"प्रिय मंच को आदाब, Euphonic अमित जी पिछले तीन साल से मुझसे जुड़े हुए हैं और ग़ज़ल सीख रहे हैं इस बीच…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, किसी को किसी के प्रति कोई दुराग्रह नहीं है. दुराग्रह छोड़िए, दुराव तक नहीं…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"अपने आपको विकट परिस्थितियों में ढाल कर आत्म मंथन के लिए सुप्रेरित करती इस गजल के लिए जितनी बार दाद…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service