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इम्तेहान ( गजल )

221 2121 1221 212

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जिंदगी मैं अभी भी कुछ इम्तेहान बाकी हैं

गुजरी हैं आंधियां अभी तूफ़ान बाकी हैं

मैं दूर तेरी महफ़िल से जाऊं भी तो कैसे

महफ़िल मैं तेरी मेरे भी कदरदान बाकी हैं

बे-ईमानों की दुनिया मैं घूमता हूँ शान से

जब तक मेरे सीने मैं मेरा ईमान बाकी है

लौटकर के मौत भी घर से मेरे खाली गई

मेरी माँ का कोई ऐसा वरदान बाकी है

सो रहा है मुल्क मेरा जो सुकूं और चैन से

सरहद पे जान लुटाता हुआ जवान बाकी है

तुम जलाके बस्तियां कर दो हमें बे-घर भले

जमीं बिछौना ओढने को तो आसमान बाकी है

तुम ढूंढते फिरते हो जिसे मंदिरों मैं सारी उमर

कैसे मिलेगा दिल मैं जब तेरे शैतान बाकी है

तुम फिजूल तीर तीखे अपनों पे चलाते रहे

तरकश है खाली बस हाथ मैं कमान बाकी है

बेटा कमाने दौलतें देश से विदेश चला गया

तीरथ लेके जाये कहाँ वो संतान बाकी है

इंसानियत दुनिया मैं जिंदा रहेगी तब तलक

जब तक के आखिरी नेक दिल इंसान बाकी है

( मौलिक व अप्रकाशित )

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Comment

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Comment by Meena Pathak on April 15, 2014 at 2:20pm

सुन्दर गज़ल हुई | बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2014 at 9:40am

सचिन जी भाव बहुत शानदार हैं ग़ज़ल में किन्तु आपके अशआर उपर्युक्त बह्र के अनुसार नहीं हैं एक बार जांच लें सही बह्र पर इसे कसेंगे तो उम्दा ग़ज़ल बनेगी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 15, 2014 at 7:43am

आदरणीय सचिन भाई कोशिश अच्छी है बस तक्ती दोबारा करके देख लें, शुभकामनायें

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 14, 2014 at 11:18pm

वाह ! क्या बात है आदरणीय सचिन जी, बहुत सुंदर.. जोश से भरी गजल

बे-ईमानों की दुनिया मैं घूमता हूँ शान से

जब तक मेरे सीने मैं मेरा ईमान बाकी है..........सांच को क्या आंच

तुम जलाके बस्तियां कर दो हमें बे-घर भले

जमीं बिछौना ओढने को तो आसमान बाकी है......गजब का शेर हुआ

दिली बधाई कुबूल कीजियेगा

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on April 14, 2014 at 11:09pm

आदरणीय सचिन जी
ग़ज़ल पर मुबारकबाद..लिखते रहिए..
बे'हर लिखा है..मतलब आप संजीदा है..कोशिश जारी रखिए.

Comment by ANJU MISHRA on April 14, 2014 at 8:36pm

बहुत सुंदर ....इम्तेहान बाकी है ,,,,वाह ! 

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 14, 2014 at 7:17pm

वाह क्या कहने सुन्दर ग़ज़ल
सादर

Comment by Shyam Narain Verma on April 14, 2014 at 5:13pm
बहुत खूब ! इस सुंदर गजल हेतु बधाई स्वीकारें ........................
Comment by gumnaam pithoragarhi on April 14, 2014 at 4:58pm

ग़ज़ल के भाव अच्छे लगे बधाई

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