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नन्ही गुड़िया ( कुण्डलिया छंद )

नन्ही गुड़िया चंचला ,खेले दौड़े खूब । 

नन्हे नन्हे पाँव हैं ,मनभावन है रूप ॥ 

मनभावन है रूप , तोतली बातें करती । 

बात बात मुस्कात ,सभी के मन को हरती॥ 

करे सभी  से प्यार ,हमारी प्यारी मुन्नी । 

सभी लड़ाते लाड़, मोहिनी गुड़िया नन्ही ।। 

अप्रकाशित एवं मौलिक 

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 19, 2014 at 6:34pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी 

नन्ही मुन्नी गुड़िया का हँसना खिलखिलाना और सबका मन मोह लेना बहुत सुन्दर लगा 

पर शिल्प में काफी कमियाँ रह गयी हैं 

1.खूब और रूप की /  मुन्नी और नन्ही की तुकांतता कैसे ?

2. बात बात मुस्कात ......................इसमें आपने मुस्कात शब्द जिस तरह से ले लिया वो सारा लालित्य ख़त्म कर रहा है rअचना का ....इस के स्थान पर "मधुर मधुर मुस्कान" सभी के मन के हरती लिया जाता तो क्या ही सुन्दर होता !

आपके इस प्रयास पर मेरी शुभकामनाएं 

सस्नेह 

Comment by Anurag Singh "rishi" on April 13, 2014 at 1:07pm

बधाई

Comment by kalpna mishra bajpai on April 11, 2014 at 10:07pm

आदरणीया अन्नपूर्णा दी सुंदर भाव रचना के लिए बहुत बधाई । सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 11, 2014 at 6:33pm

आ. अन्नपूर्णा जी , सुन्दर कुंडलिया रचना की है आपने !! बस तुकांतता को ज़रा देख लीजियेगा !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 11, 2014 at 4:05pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत बधाई बहुत प्यारी कुण्डलिया है

Comment by Sachin Dev on April 11, 2014 at 12:56pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी, नन्ही और प्यारी सी रचना पर हार्दिक बधाई आपको ! 

Comment by annapurna bajpai on April 11, 2014 at 12:17pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपका अत्यंत आभार , आपके परामर्श अनुसार मै अभी परिवर्तन कर देती हूँ । ये सही है धूप से स्पष्ट नहीं हो रहा है , किन्तु यहाँ शब्द ' खूब'  था टाइपिंग मिस्टेक के कारण गड़बड़ हुआ है मै ठीक करती हूँ । आभार आपका 

Comment by Shyam Narain Verma on April 11, 2014 at 11:27am
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई..................
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 11, 2014 at 10:22am

सुन्दर कुंडलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीया अन्नपूर्णा बाजपेयी जी | आ. राजेश जी की सलाह उचित है | 

नहीं फ़िक्र, हो धूप" भी किया जा सकता है | 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 11, 2014 at 8:41am

आ० अन्नापूर्ण जी बहुत सुन्दर प्रयास है कुण्डलिया पर एक विनम्र परामर्श ---दोहे के सम चरण को ऐसा लिखें तो कैसा रहे --उजली जैसे धूप या सुन्दर जैसे धूप,चमके  जैसे धूप ...  या कुछ और ---खेले दौड़े धूप से वाक्य स्पष्ट नहीं हो रहा

और रोले में करे जतन से प्यार को करे सभी से प्यार लिखें तो सही होगा

बाकि शिल्प में कोई कमी नहीं है बहुत शानदार भाव बहुत मासूम ..बधाई आपको  

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