For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चल रहे थे अकेले हम वो मिल गये
साथ उनका मिला बुझे दीप जल गये

बीत गये हमारे पल इंतजार के
बंध गये थे हम धागो में प्‍यार के
जिन्‍दगी में चाहत के फूल खिल गये
साथ उनका मिला बुझे दीप जल गये
चल रहे थे अकेले हम वो मिल गये

हर चाहतो को मेरी जानने लगे
आँखो की भाषा को पहचाने लगे
जीवन के रंग ढ़ग सभी बदल गये
साथ उनका मिला बुझे दीप जल गये
चल रहे थे अकेले हम वो मिल गये

इक दिन जाने कैसा आया जलजला
टूट गया उसके आने का सिलसिला
भूले प्‍यार मेरा अब वो बदल गये
साथ उनका मिला बुझे दीप जल गये
चल रहे थे अकेले हम वो मिल गये

बीता इक जमाना उनको गये हुए
खुले जो पल पल लब उनको बंद हुए
खुशीयाँ अखंड के सपने सब छल गये
साथ उनका मिला बुझे दीप जल गये
चल रहे थे अकेले हम वो मिल गये

अखंड गहमरी मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 515

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:28pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीय जितेन्‍द्र गीज   जी

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:28pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीय  गिरिराज भंडारी   जी

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:28pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीया राजेश कुमारी  जी

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:28pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीया annapurna bajpai जी

Comment by Akhand Gahmari on April 17, 2014 at 8:28pm

उत्‍साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीया Meena Pathak जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 11, 2014 at 6:12pm

आदरणीय अखंड भाई , सुन्दर गीत रचना की है , बधाइयाँ !! गेयता मे कमी ज़रूर है !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 11, 2014 at 10:32am

सुन्दर रचना आ० अखंड जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 10, 2014 at 11:33pm

बहुत सुंदर रचना, बधाई स्वीकारें आदरणीय अखंड जी

Comment by annapurna bajpai on April 10, 2014 at 2:07pm

सुंदर गीत , बधाई आपको । 

Comment by Meena Pathak on April 9, 2014 at 8:10pm

बहुत सुन्दर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
12 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service