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 5 हायकु

उदास हम

हो गये हैं फिर से

छले जो गये

मिले वो हमें

जिन्दगी बन कर

दे गये धोखा

साथ छोड़ा क्‍यों

तड़पाने के लिये

यही प्‍यार है

मर जायेगें

हम तेरी चाह में

खुश रहना

सपने टूटे

वह हमसे रूठे

मिली सजा है

मौलिक एवं अप्रकाशित

अखंड गहमरी

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Comment

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Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:44pm

आदरणीया डा प्राची सिह जी आपके मार्गदर्शन एंव विचारों को आवश्‍य सकारात्‍मक रूप देने का प्रयास करूँगा आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें। आदरणीया यह पूर्ण रूप से मेरा पहला प्रयास था और पहले प्रयास के 5 हायकु थे आपके मार्गदर्शन में अवश्‍य इस दिशा में कार्य होगा

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:42pm

आदरणीय जितेन्‍द्र गीत जी आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें।

Comment by Akhand Gahmari on April 6, 2014 at 2:41pm

आदरणीया coontee mukerji जी आपके मार्गदर्शन एंव विचारों को आवश्‍य सकारात्‍मक रूप देने का प्रयास करूँगा आपके आर्शीवाद एवं मार्गदर्शन का सदैव आकांक्षी मेरा प्रणाम स्‍वीकार करें।

Comment by coontee mukerji on April 6, 2014 at 12:58pm

इन भावों को आप हायकु न कर कोई और रूप दे दीजियेगा..निखर आएगा....सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 5, 2014 at 10:03pm

हायकू प्रयास के लिए बधाई आ० अखंड गहमरी जी 

मुझे विधा का पालन करता हुआ सिर्फ एक ही हायकू लगा 

सपने टूटे

वह हमसे रूठे

मिली सजा है

बाकी सभी हायकुओं में तीनों पंक्तियाँ अपने अर्थ को व्यक्त करने में पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं...बल्कि एक दुसरे पर निर्भर हैं 

शुभेच्छाएं 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 5, 2014 at 12:12am

बहुत सुंदर मर्मस्पर्शी हाइकू रचना, बधाई आदरणीय अखंड जी

कृपया ध्यान दे...

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