For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औरो से हूँ जुदा तुझे भी होगा कल यकी

२२१२ १२१२ १२१२ १२

कातिल हँसी तू इक दफा जो हमको  देख ले

किस की हो फिर मजाल भी जो तुझको देख ले

 

औरो से हूँ जुदा तुझे भी होगा कल यकी

मलिका-ए- हुस्न पहले जो तू सबको देख ले

 

दिलकश हसींन कातिलों में कुछ तो बात है

धड़कन थमें जो इक दफा भी उसको देख ले

 

दिल चाहता जिसे उसे मैं कहता हूँ खुदा

जब सामने खुदा तो कोई किसको देख ले

 

सागर की आरजू कभी भी थी नहीं मेरी

आँखों में जाम भर के ही तू हमको देख ले

 

नफरत तुझे मरीज से है मानते हुयी

मेरी ग़ज़ल में तू मरीजे गम को देख ले

 

इस नज्म में छुपी हुई है दास्ताँ मेरी

कातिल तू इसमें अपने हर सितम को देख ले

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 3, 2014 at 10:58am

आदरणीय शिज्जू जी . .. आपके मार्गदर्शन के लिए तहे दिल धन्यवाद ..ईता दोष को फिर से देखूँगा ..पुनह धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 3, 2014 at 10:54am

आदरणीय सौरभ सर ...आप की सराहना यदि किसी रचना पर मुझे मिलती है तो मेरी कलम को ताकत और मुझे हौसला मिल जाता है ..आप सभी बिद्व्त्जनों का यूं ही आशीर्वाद सदैव मिलता रहे इसी ख्वाइश के साथ...सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 10:04am

शिज्जूभाईजी, आपने बिल्कुल ठीक कहा है. हाल में समाप्त मुशायरे के संकलित ग़ज़लों में इता दोष वाले मतलों को इंगित किया गया है.

मंच का प्रयास और इसकी अपेक्षा यही रहती होती है, कि छंदोत्सव या मुशायरे में संकलित रचनाओं/ग़ज़लों में बताये गये दोषों पर रचनाकार ध्यान दें. लेकिन आयोजनों की समाप्ति के बाद उन संकलनों पर अक्सर अपेक्षित चर्चा ही नहीं होती. यदि ऐसा होने लगे तो कई परेशानियाँ दूर होने लगेंगीं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 3, 2014 at 8:27am

आदरणीय डॉ आशुतोष जी इस तरह तो ईता दोष हो रहा है


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 3, 2014 at 3:29am

इस रदीफ़ पर अच्छी कहन की प्रस्तुति हुई है, आदरणीय.

हार्दिक बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 9:55am

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद ..भाईसाब अगर पहले शेर में मुझको की जगह हमको कर दिया जाए तो क्या रदीफ़ अको हो जाने से ठीक हो सकता है परामर्श देने का कष्ट करें ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 28, 2014 at 9:53am

अरुणजी ..बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी दी आपने ..मेरी नजर में चूक हो गयी . सलाह के लिए तहे दिल धन्यवाद ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 27, 2014 at 5:20pm

आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ !! आ. अरुण भाई की बात सही लग रही है , जरा सोच के देखियेगा ॥

Comment by अरुन 'अनन्त' on March 27, 2014 at 2:43pm

आदरणीय आशुतोष सर जी काफिया चुनाव में गड़बड़ी हो गई जरा देखिये.

कातिल हँसी तू इक दफा जो मुझको देख ले

किस की हो फिर मजाल भी जो तुझको देख ले

मतले में काफिया और रदीफ़ कुछ इस प्रकार हैं.

रदीफ़ : झको देख ले : काफिया : मु , तु

किन्तु अन्य अशआरों में इसका निर्वाहन नहीं हुआ है. एक बार पुनः जाँच लें. सादर

Comment by Sachin Dev on March 26, 2014 at 1:39pm

बहुत खूबसूरत गजल आशुतोष मिश्रा जी.... 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
23 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service