For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता

बह्र : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२

 

कहीं भी आसमाँ पे मील का पत्थर नहीं होता

भटक जाता परिंदा, गर ख़ुदा, रहबर नहीं होता

 

कहें कुछ भी किताबें, देश का हाकिम ही मालिक है

दमन की शक्ति जिसके पास हो, नौकर नहीं होता

 

बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे

यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता

 

मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू

सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता

 

ये पीली पत्तियाँ, पत्ते हरे आने नहीं देतीं

अगर इनको गिराने के लिये पतझर नहीं होता

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 776

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:39am

बहुत बहुत शुक्रिया वीनस जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:29am

बहुत बहुत शुक्रिया डॉ. सूर्या बाली "सूरज" साहब

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 4, 2014 at 11:22am

बहुत बहुत शुक्रिया आशीष नैथानी 'सलिल' जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 1, 2014 at 6:04pm

ग़ज़ल का मतला बहुत पसंद आया, मकता भी बढ़िया हुआ है 

मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू

सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता................व्यस्था के सच ऐसे ही होते हैं 

इस उम्दा ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 28, 2014 at 2:06am

इस क़ामयाब ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई, आदरणीय धर्मेन्द्रजी.

सभी अशआर में गहनता पिरोयी गयी है. लेकिन निम्न अशआर ने वाकई ध्यान खींचा है -

बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे

यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता

ये पीली पत्तियाँ, पत्ते हरे आने नहीं देतीं

अगर इनको गिराने के लिये पतझर नहीं होता...

ढेर सारी बधाई स्वीकार करें.

शुभ-शुभ

Comment by बृजेश नीरज on March 24, 2014 at 10:31pm

वाह! बहुत खूब! सभी अशआर बेहतरीन हैं.

यह शेर बहुत ही बेहतरीन है-

//बचा पाएँगी मच्छरदानियाँ मज़लूम को कैसे

यहाँ जो ख़ून पीता है महज़ मच्छर नहीं होता//

आपको बहुत-बहुत बधाई!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 24, 2014 at 8:54pm

क्या लाज़वाब ग़ज़ल कही है हर एक शे'र पर दाद कबूल करें .

Comment by Mukesh Verma "Chiragh" on March 24, 2014 at 5:20pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है.. इस शेर पे ख़ास तौर पे दाद देना चाहूँगा.

मिलाकर झूठ में सच बोलना, देना जब इंटरव्यू

सदा सच बोलता है जो कभी अफ़सर नहीं होता

Comment by विजय मिश्र on March 24, 2014 at 4:20pm
जमाने के हिसाब से कमाल की बातें कहीं धर्मेंद्र्जी , गजल का अन्दाज आला है |बधाई इस बेहतरीनी के लिए |
Comment by वीनस केसरी on March 24, 2014 at 12:50am

वाह भाई आपके अपने अंदाज़ की ग़ज़ल है
ढेरो दाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service