For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इन्दु अपने मंडल की पेंशन प्रमुख थी, किसी भी बुजुर्ग महिला या बहन को पेंशन लगवानी होती तो झट उससे संपर्क करतीं ....

अपने मोहल्ले की अपनी कॉलोनी की सभी महिलाओं की चाहे वो वृद्ध हो, विधवा हो या तलाकशुदा हो उसने बिना किसी अड़चन के पेंशन लगवा दी थी.

समय ने करवट ली, उसके पति का आकस्मिक देहांत हो गया ...

कुछ समय बीत जाने  पर उसकी एक ख़ास सहेली ने उसे सुझाव दिया ...

"भाभी आप ने पेंशन के लिए अपना फॉर्म भरवाया ?"

थोड़ा चुप रहकर फिर कहा ..

"यह तो सरकार दे रही है लेने में क्या हर्ज है ?"

इंदु मूक खड़ी थी ...वो उसको कोई जवाब नहीं दे पाई थी जबकि उसने कुछ गलत नहीं कहा था पर ना जाने क्यों उसे चुभ सी गई थी यह बात और उसके दिल से हूक सी उठी थी ...

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 23, 2014 at 4:13pm

सामाजिक अस्मिता विशिष्ट हो गयी संज्ञा के आम होते ही असंतुलित हो उठती है. एक अच्छी लघुकथा के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीया.

सादर

Comment by Sarita Bhatia on March 7, 2014 at 8:18pm

आदरणीय भाई विजय जी इस प्रेरक अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on March 7, 2014 at 8:11pm

शुक्रिया शुभ्रांशु जी 

Comment by Sarita Bhatia on March 7, 2014 at 8:11pm

आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार 

Comment by विजय मिश्र on March 6, 2014 at 5:53pm
सचमुच ,इस रिक्ति को किसी सहयोग अथवा अनुदान से नहीं भरा जा सकता है ,यही बोध अनावृत हो उठा होगा और मनको बात चुभ गयी |आप बीतती है तो मर्मबोध होता है| बहुत सुंदर सरितादीदी साधुवाद |
Comment by Shubhranshu Pandey on March 6, 2014 at 11:51am

आदरणीय सरिता जी, 

आर्थिक मदद और सामाजिक मान्यताओं को प्रस्तुत करते हुये सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 5, 2014 at 11:37pm

बहुत मार्मिक लघुकथा, बधाई आदरणीया सरिता जी

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 5, 2014 at 4:46pm

क्यों चुभ गयी , आदरणीया जी 

Comment by Sarita Bhatia on March 4, 2014 at 3:46pm

शुक्रिया आदरणीय श्याम जी 

Comment by Shyam Narain Verma on March 4, 2014 at 11:25am
सुन्दर लघुकथा हेतु बधाई.....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
3 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
4 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 hours ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
yesterday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service