For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक गुलदस्ते की तरह, सजा हमारा देश।

तरह-तरह के लोग हैं, तरह-तरह के वेश।।

 

जाति धर्म के फेर में, उलझ गया इंसान।
प्रेम शांति का मार्ग है, सत्य यही लो जान।।

 

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

 

मक्कारी औ झूठ से, जो ना आये बाज।

उसकी भाषा लो समझ, पहचानो आवाज।।

(मौलिक व अप्रकाशित)* संशोधित

Views: 797

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 5:05pm

आदरणीय डॉ आशुतोष सर आपकी नवाज़िशों के लिये आपका शुक्रगुज़ार हूँ

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 15, 2014 at 10:11am

आदरणीय शिज्जू जी पहली बार आपके दोहों को पढने का सौभाग्य प्राप्त हुआ .

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

.अपने देश की बकालत करता , भारतीय समाज की बिशिस्तता को दर्शाता , जन सामन्य को आगाह करते शानदार दोहों के लिए तहे दिल बधाई ..सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 9:35am

आदरणीय गिरिराज सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 15, 2014 at 7:42am

आदरणीय शिज्जू भाई , सुन्दर दोहों के लिये  बहुत बधाइयाँ ॥

अच्छे दोहे हैं रचे , खूब कही है बात

सुधरेंगे अब देश के , लगते हैं हालात


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 15, 2014 at 7:21am

मेरी रचना को मान देने एवं हौसला अफ़्ज़ाई के लिये आप सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 14, 2014 at 11:17am

आदरणीय शिज्जू जी, सभी  बहुत सुंदर दोहे हैं . यह दोहा बेहद पसंद आया  हार्दिक बधाई स्वीकारें

मजहब के आधार पे, निर्मित पाकिस्तान।

रहता होगा क्या वहाँ, कोई भी इंसान।।

 

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 14, 2014 at 8:45am

बहुत सुंदर दोहे आदरणीय शिज्जू जी, यह दोहा बेहद पसंद आया  हार्दिक बधाई स्वीकारें

तुम अपनी पूजा करो, औ मैं पढ़ूँ नमाज।

बस इतना ही फर्क है, अपना एक समाज।।

Comment by annapurna bajpai on February 13, 2014 at 7:44pm

बहुत सुंदर दोहे , बधाई । 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on February 13, 2014 at 7:39pm

आ. शिज्जु भाई सुंदर दोहे, दोहे में पकड़ बढ़्ती जा रही है , भाव भी अच्छे हैं , हार्दिक बधाई॥

Comment by Neeraj Neer on February 13, 2014 at 6:51pm

बहुत ही सुंदर दोहे ... काश ये सच हो पाता.. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service