For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || हुआ है आज क्या घर में ||

हुआ है आज क्या घर में हर इक सामान बिखरा है

उधर खुश्बू पड़ी है और इधर गुलदान बिखरा है /१ 

मुहब्बत क्या है ये जाना मगर जाना ये मरकर ही

लिपटकर वो कफ़न से किस तरह बेजान बिखरा है /२ 

यहीं मैं दफ्न हूँ आ और उठाकर देख ले मिट्टी

मेरी पहचान बिखरी है मेरा अरमान बिखरा है /३ 

मुझे रुस्वाइयों का गम नहीं गम है तो ये गम है

लबों पर बेजुबानों के तेरा एहसान बिखरा है /४ 

ग़ज़ल के वास्ते मैं फिर नई पोशाक लाया हूँ

अलग ये बात पुर्जों में मेरा दीवान बिखरा है /५ 

.............................................................
अरकान : १२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 1011

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on February 5, 2014 at 10:30am

नवाजिश , करम , मेहरबानी  अनिल कुमार 'अलीन'  साहब ! शुक्रिया बहुत बहुत ! स्वागतम !

Comment by अनिल कुमार 'अलीन' on February 5, 2014 at 9:50am

इबादत में है मेरी माँ , यहाँ की रौनकें देखो

मकां के गोशे गोशे में, कई भगवान बिखरे हैं /२...........बहुत खूब जनाब..........

Comment by Saarthi Baidyanath on February 2, 2014 at 7:24pm

परम आदरणीय  Saurabh Pandey जी , चरण वंदन इस स्नेहिल व आत्मिक प्रतिक्रिया हेतु ! स्नेहाशीष देते रहिएगा ! कोटिशः आभार श्रीमान ! :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 2, 2014 at 7:10pm

भाईजी.. दिल खुश कर दिया आपने ! .. ढेर सारी दाद और हार्दिक बधाइयाँ ..

शुभ-शुभ

Comment by Saarthi Baidyanath on January 30, 2014 at 6:23pm

महोदया rajesh kumari जी , नतमस्तक हूँ ! कोटिशः चरण वंदन ! आपके सहज निश्चल स्नेह ने भाव विभोर कर दिया है , आपने तो ऋणी बना दिया हमें, अपने स्नेह से ! शीशनत हूँ आदरणीया  ..शीशनत हूँ ! विनम्र अभिनंदन आपका ! सादर -सारथी ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 30, 2014 at 5:36pm

इबादत में है मेरी माँ , यहाँ की रौनकें देखो 
मकां के गोशे गोशे में, कई भगवान बिखरे हैं /---------लाजबाब मोती मणिक न्योछावर  इस शेर पर 

जहां मैं दफ्न था जाओ ,उठाकर देख लो मिट्टी 
मेरी पहचान बिखरी है ,तेरे एहसान बिखरे हैं -----आह्ह्ह ये क्या लिख दिया ....दिल रो पड़ा 

हर शेर दिल को चीर कर निकल रहा है यही इस ग़ज़ल की खासियत है ---ढेरों दाद कबूलिये सारथि जी ...शुभकामनायें 

Comment by Saarthi Baidyanath on January 30, 2014 at 5:16pm

जनाब  अरुन शर्मा 'अनन्त' साहब , आपके स्नेह से सचमुच प्रेरणा मिलती है ! कुछ और अच्छा करने /लिखने को आतुर हो जाता है मन ! बहुत मेहरबानी आपकी ! शुक्रिया बहुत बहुत ..साथ बने रहिएगा आदरणीय ! आकांक्षी :)

Comment by Saarthi Baidyanath on January 30, 2014 at 5:14pm

आदरणीय  बृजेश नीरज जी , आपके शुभागमन से आनंदित हूँ ! स्नेहिल टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आपका ! सादर प्रणाम !

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 30, 2014 at 2:11pm

भाई वाह वाह वाह एक एक शेअर पर दिल से भर भर के ढेरों ढेरों दाद सारथी भाई दिल लूट लिया आपने मुग्ध कर दिया. भाई मजा आ गया वाह वाह वाह क्या खूबसूरत चमचमाते हुए अशआर हैं सितारे जड़े हैं भाई मुकम्मल कामयाब हासिले ग़ज़ल.

Comment by बृजेश नीरज on January 30, 2014 at 12:05pm

अच्छी ग़ज़ल है भाई जी! आपको हार्दिक बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
8 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
13 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service