For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

निर्ममता से जो पड़ी ,खूब समय की  बेंत। 
नदिया पूरी बह गई ,शेष  रह  गई  रेत  !!१ 
 
शहर हमारी देह सा ,रक्त नदी की  धार। 
नस-नस में काहे करे, नाला समझ विचार।।२ 
 
नदी जन्म देती शहर ,शहर बन रहे शाप। 
मैली करते कोख को ,मिलजुल कर हम-आप !!३ 
 
नदी  दीन  सी हो गई , बजी ईंट से ईंट। 
काँटों से तट पर उगे ,घावनुमा  कंक्रीट।।४ 
 
आसमान जो फट गया ,दुष्कर भागम-भाग !
झुलस गए तट साथ के ,लगी नदी में आग।। ५ 
 
वानर से ही नर बना , सदा कुलाटी  खाय !
अपनी हो या गैर की , उम्र नज़र ना आय।।६ 
 
करती कितना नारियाँ ,जप तप और उपवास !
फिर भी नन्ही बच्चियां ,भोग  रही  संत्रास।।७ 
 
काला - रंग समाज का , चिंता की है बात। 
बद से बदतर हो रहे , जीने  के  हालात।।८ 
 
पायल तुम झंकार पर , इतना मत इतराव। 
घुंघरू खुद बजते नहीं ,अगर हिले ना  पाँव।।९ 
 
ना मानूँ मै धर्म को ,मानूँ  ना भगवान् !
मै तो इतना जानता ,समय बड़ा बलवान।।१० 
----------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे...मौलिक/अप्रकाशित 

Views: 849

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 4, 2014 at 11:02am

भावपूर्ण दोहे रचे है भाई अविनाश जी, हार्दिक बधाई एवं नव वर्ष की मंगल कामनाए स्वीकारे |

कुछ दोहों में लयात्मकता की द्रष्टि से और सुधार हो सकता है जैसे -

नदिया पूरी बह गई ,शेष  रह  गई  रेत  ----  शेष रही अब रेत 

Comment by vandana on January 3, 2014 at 5:55am

बेहतरीन एक से बढ़कर एक दोहे आदरणीय अविनाश जी 

Comment by MAHIMA SHREE on January 2, 2014 at 9:08pm
करती कितना नारियाँ ,जप तप और उपवास !
फिर भी नन्ही बच्चियां ,भोग  रही  संत्रास।।
 
ना मानूँ मै धर्म को ,मानूँ  ना भगवान् !
मै तो इतना जानता ,समय बड़ा बलवान।।... वाह बहुत ही सारगर्भित दोहें आदरणीय अविनाश सर हार्दिक बधाई आपको सादर  
 
 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 2, 2014 at 8:57pm

आदरणीय अविनाश भाई , सुन्दर शिक्षा प्रद दोहों के लिये बधाइयाँ ॥

Comment by Shyam Narain Verma on January 2, 2014 at 5:50pm
आपकी इस सुंदर प्रस्तुति पर सादर बधाई...
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on January 2, 2014 at 5:01pm

आदरणीय अविनाश  भाई , नया वर्ष आपके व पूरे परिवार के लिए मंगलदायी  हो॥  दोहे में  आपने देश समाज और सरकार को अच्छी सीख दी है, इस सामयिक रचना पर हार्दिक बधाई ॥... सप्रेम राधे-राधे।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service