For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सब कुछ वैसा ही हो जाये

सब कुछ वैसा ही हो जाये
जैसा हमने चाहा था
जैसा हमने सोचा था
जैसा सपना देखा था

सब कुछ वैसा ही हो जाये
लेकिन वैसा कब होता है
कुछ पाते हैं, कुछ खोता है
ठगा-ठगा निर्धन रोता है
थका-हारा, भूखा सोता है

तुम हम सबको बहलाते हो
नाहक सपने दिखलाते हो
अपने पीछे दौडाते हो
गुर्राते हो, धमकाते हो
और हमारे गिरवी दिल में
बात यही भरते रहते हो
सब कुछ वैसा हो जायेगा
जैसा हम सोचा करते हैं
जैसा हम चाहां करते हैं

हमने बात तुम्हारी मानी
लेकिन देखो गौर से देखो
इन बच्चों की आँखों में
शंकाओं के, संदेहों के
कितने बादल तैर रहे हैं
बेशक बालिग़ होकर ये सब
सपनों के उन हत्यारों का
सारा तिलस्म तोड़ डालेंगे...

बेशक अच्छे दिन आयेंगे
तब हम सब मिलजुल कर गायेगे
गीत विजय के दुहराएंगे....

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 434

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 11:54pm

आदरणीय अनवर सुहैल साहब, ग़ज़ब ग़ज़ब ग़ज़ब !

हृदय से धन्यवाद लीजिये व्यामोह की दशा से उबारने के लिए कही गयी गाथा के लिए. ऐसी कविताएँ तमाचे जड़ती हैं.

ख्वाबों के टूटने की ऐसी ही दशा को सुन्दर सी अभिव्यक्ति मिलने लगी थी, जब आज़ादी के बाद अवसरवादियों ने कमान सँभाल ली थी. अब फिर से स्वप्न भरे दिनों का गुब्बारा फुलाया जा रहा है.

आपकी संवेदशीलता को नमन.. .

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 9, 2013 at 5:12pm

आदरणीय सुहैल भाई , सुन्दर रचना के लिये बधाई !!!!!

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 9, 2013 at 3:41pm

आदरणीय सुहैल जी अच्छा मंथन किया है आपने बधाई आपको

Comment by Meena Pathak on December 9, 2013 at 1:25pm

सुन्दर कविता, बधाई आप को आदरणीय !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 8, 2013 at 10:24pm

मित्र सुहैल जी

बहुत अच्छी  कविता है  i

आपको बहुत बहुत बधाई i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service