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सन अड़तालीस की तीस जनवरी के दिन
नहीं मरे थे तुम
बापू


तुम एक गोली से

मर भी नहीं सकते थे

तुम्हारे जर्जर हो चुके शरीर को
सिर्फ भेद पाई थी
वह गोली

चंद सूखी लकड़ियों से भी

नहीं जल सकते थे तुम
बापू

 

तुम्हारी चिता जला पाई थी

सिर्फ तुम्हारे अचेत शरीर को

 तुम्हे कंधा देने

उमड़ पड़ा था पूरा देश

आज भी बदस्तूर जारी है

तुम्हें कंधा देना

बापू

 

आज भी हर घर में

मौजूद हैं आप
दावारों पर टंगे हुए

तिजोरियों में रखे हुए

किताबों में लिखे हुए

बापू

 

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

तुम बस घूर के देख सकते हो
तुम्हारे हत्यारों की

बुलेट प्रूफ गाड़ियों को

गांधी स्क्वायर से गुजरते हुए

 

मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment

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Comment by hemant sharma on February 11, 2014 at 11:52pm
आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आपको मेरी कविता पसन्द आई मेरा प्रयाश सार्थक हुआ मैं ह्रदय से आभारी हुं. सादर...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 18, 2013 at 8:24pm

एक बहुत ही सशक्त विचार साझा हुआ है, भाईजी. 

बापू पर हुई इस कविता के लिए हृदय से बधाई स्वीकारिये.

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

इन पंक्तियों के लिए विशेष बधाई.. .

शुभेच्छाएँ

Comment by Sanjay Mishra 'Habib' on December 16, 2013 at 4:28pm

सुन्दर रचना...

हार्दिक बधाई स्वीकारे आ हेमंत जी...

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 9, 2013 at 9:54am

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

इन पंक्तियों में आज की कटु सत्यता है, आपकी लेखनी को नमन आदरणीय हेमंत जी

Comment by Saarthi Baidyanath on December 7, 2013 at 11:17pm

चंद सूखी लकड़ियों से भी

नहीं जल सकते थे तुम 
बापू....

क्या बात , क्या बात ! आपके जज्बात को नमन करता हूँ ! :)

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 10:52pm

हेमंत जी

आपके सुन्दर भावो की मै सराहना करता हूँ i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 7, 2013 at 5:56pm

आदरणीय हेमंत भाई जी बापू को समर्पित बहुत ही सुन्दर रचना हार्दिक बधाई आपको

Comment by coontee mukerji on December 7, 2013 at 3:54pm

हर क्षण हो रही है
तुम्हारी हत्या

तुम्हारे शरीर के हत्यारे को
दी गई थी फांसी

और तुम्हारे विचारों के हत्यारे
घूम रहें है सरेआम
बापू

तुम बस घूर के देख सकते हो
तुम्हारे हत्यारों की

बुलेट प्रूफ गाड़ियों को

गांधी स्क्वायर से गुजरते हुए...............बहुत सटीक कहा आपने आदरणीय.शुभकामनाएँ

Comment by Meena Pathak on December 7, 2013 at 2:15pm

सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई आप को 

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