For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ दोहे ....................डॉ० प्राची

भाव भँवर को पार कर , अर्पण कर सर्वस्व 

जड़ता जो चेतन करे , उसका चिर वर्चस्व // 1 //

संवेदन से हीन जो , भाव भक्ति से मुक्त 

प्रस्तर सम वह जड़ हृदय , अहंकार से युक्त // 2 //

मूढ़ व्यक्ति के मौन में , परिलक्षित अज्ञान 

संत जनों के मौन का , मूल तत्व निज ज्ञान // 3 //

सजग बुद्धि को दृष्ट है , चित्त वृत्ति का नृत्य 

ज्ञान अगन तप वृत्ति का , सधता है हर कृत्य // 4 //

नहिं अनंत में वृद्धि है , नहिं अनंत का ह्रास 

जो सअंत निज जानता , पाता वह संत्रास // 5 //

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 926

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 6, 2013 at 7:50am

दार्शनिक अनुभूति से भरपूर आपके लिखे यह दोहे अनुपमेय हैँ, आदरणीया।

Comment by coontee mukerji on December 6, 2013 at 1:08am

बहुत सुंदर दोहे आदरणीय प्राची जी.शुभकामनाएँ सहित.

सादर

कुंती.

Comment by ram shiromani pathak on December 5, 2013 at 11:46pm

बहुत ही सुन्दर दोहावली आदरणीया प्राची जी … हार्दिक बधाई आपको


आदरणीया कुछ प्रश्न हैं। .......

संवेदन से हीन जो , भाव भक्ति से मुक्त
प्रस्तर सम जड़ हृदय वह , अहंकार से युक्त // 2 // यहाँ आपने किस अर्थ में लिया है

सजग बुद्धि को दृष्ट है , चित्त वृत्ति का नृत्य
ज्ञान अगन तप वृत्ति का , सधता है हर कृत्य // 4 // यहाँ अर्थ नहीं समझ पाया मै..
निवेदन है कृपा कर मार्गदर्शन करें ///////सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:44pm

दोहावली पर आपकी मूल्यवान सराहना के लिए धन्यवाद आ० शिज्जू जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:43pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी 

प्रस्तुत दोहों की विषयवस्तु व कथ्य आपको गहन व ज्ञान वर्धक लगे...यह जान बहुत आत्मसंतोष मिला है 

सादर धन्यवाद इस बहुमूल्य सराहना और उत्साहवर्धन के लिए.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 5, 2013 at 9:40pm

बहुत अच्छी दोहावली है आदरणीया डॉ प्राची जी इस कामयाब रचना के लिये बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:39pm

आदरणीय डॉ० गोपाल नारायण जी 

दोहों की प्रस्तुति और कथ्य आपको संतुष्ट कर सके यह जानना हर्षित कर रहा है... 

सादर धन्यवाद !

मंच पर हम सभी नें ऐसे ही क्लास में सनातनी छंद विधान सीखा है....... :))) और परस्पर सीख रहे हैं ..

//उनके  हिसाब से  विषम चरण का अंत रगण (२१२) या नगण (१११) से होना चाहिए//...........अरे भाई जी ..ये हिसाब आ० सौरभ जी नें कहाँ लगाया ...ये तो विधान ही है :))))

सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:33pm

सादर धन्यवाद आदरणीया सरिता जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:32pm

दोहा छंद पर आपकी सराहना के लिए आभार आ० राजेश जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 5, 2013 at 9:32pm

दोहों पर आपकी उत्साहवर्धक उपस्थिति के लिए सादर धन्यवाद आदरणीया मीना पाठक जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
yesterday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Friday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Friday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
Thursday
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service