For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भाव की हर बांसुरी में

भर गया है कौन पारा ?

देखता हूं

दर-बदर जब

सांझ की

उस धूप को

कुछ मचलती

कामना हित

हेय घोषित

रूप को

सोचता हूं क्‍या नहीं था

वह इन्‍हीं का चांद-तारा ?

बौखती इन

पीढि़यों के

इस घुटे

संसार पर

मोद करता

नामवर वह

कौन अपनी

हार पर

शील शारद के अरों को

ऐंठती यह कौन धारा ?

इक जरा सी

आह सुन जो

छूटता

ले प्राण था

तू ही जिनकी

जिंदगी था

तू ही जिनकी

जान था

चाहते थे वे रथी कब

सारी धरती व्‍योम सारा ?

देवता वो

कौन है जो

हर सके

इस पाप को

गुणसूत्र की

वेणी पकड़ ये

लीलते बस

'आप' को

स्‍वार्थ की ताबीज ताने

किसने है ये मंत्र मारा ?

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 1258

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on December 2, 2013 at 12:44pm

रचना बहुत भावभीनी हुयी है| मुझे कहीं कहीं कठिन अवश्य लगी है| //बौखती// शब्द का तात्पर्य नही समझ सकी हूँ! 

रचना पर हार्दिक बधाई!!

Comment by बृजेश नीरज on December 2, 2013 at 12:35pm

वाह! लाजवाब! तीसरा कोई और शब्द कह पाने की स्थिति में नहीं हूँ!

आपको हार्दिक बधाई!

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:27am

//प्राण और जान दोनों के प्रयोग एक साथ दोनों में भिन्नता क्या है भाई जी//

आदरणीय अरून शर्मा 'अनन्‍त' जी इस रचना में मैंने प्राण को समस्‍त चैतन्‍य ऊर्जा के प्रतीक के रूप में ग्रहण किया है जो अमूर्त है, स्‍पंदन का उत्‍स है जबकि जान इसी ऊर्जा की पार्थिव अभिव्‍यक्ति है, प्राण जहां प्रेरक है वहीं प्रेरणा भी, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:22am

//कही- कही मै आपकी कल्पना को पकड़ नहीं सका वह मेरा अज्ञान है // श्रद्धेय, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी, कहीं कुछ त्रुटि या अस्‍पष्‍टता हो तो अवश्‍य साझा करें ताकि आगे की रचनाओं में संप्रेषणीयता स्‍पष्‍ट हो, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on December 2, 2013 at 11:19am

आप सबका हार्दिक आभार

Comment by आशीष यादव on December 1, 2013 at 6:52pm
सुन्दर रचना। बधाई स्वीकारेँ।
Comment by Sushil Sarna on December 1, 2013 at 4:49pm

aa.Rajesh jee gahan bhaav liye is sundr rachna ke prastutikaran ke liye haardik badhaaee

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 1, 2013 at 12:51pm

आदरणीय बहुत ही सुन्दर गीत रचा हैं आपने, किन्तु मुझे इन पंक्तियों में तनिक भ्रम हो रहा है.

इक जरा सी

आह सुन जो

छूटता

ले प्राण था

तू ही जिनकी

जिंदगी था

तू ही जिनकी

जान था ... (प्राण और जान दोनों के प्रयोग एक साथ दोनों में भिन्नता क्या है भाई जी)

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on December 1, 2013 at 11:09am

आप तो पारा पिघला के बहा रहे हैं

ग़ज़ब का गीत आदरणीय

बधाई स्वीकार करें जय हो


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 1, 2013 at 6:57am

आदरणीय राजेश मृदु भाई , सुन्दर गीत रचना के लिये आपको बधाई !!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"शुक्रिया आदरणीय। कसावट हमेशा आवश्यक नहीं। अनावश्यक अथवा दोहराए गए शब्द या भाव या वाक्य या वाक्यांश…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।"
3 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"परिवार के विघटन  उसके कारणों और परिणामों पर आपकी कलम अच्छी चली है आदरणीया रक्षित सिंह जी…"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन।सुंदर और समसामयिक लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। प्रदत्त विषय को एक दिलचस्प आयाम देते हुए इस उम्दा कथानक और रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदरणीय शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। शीर्षक लिखना भूल गया जिसके लिए…"
10 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"समय _____ "बिना हाथ पाँव धोये अन्दर मत आना। पानी साबुन सब रखा है बाहर और फिर नहा…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
15 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
17 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
23 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service