For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौन के शव  ?

बोलते चुपचाप

बात करते आप

रौंदते है मूक अन्तस को

बधिर होता है हाहाकार

दग्ध पर नहीं होते वो

ध्वंस लेता है फिर आकार

यही होता है प्रकृति में 

भावनाओ की विकृति में

सतत क्रम सा बार बार

सभी है सहते उसे

और हाँ कहते उसे

निष्ठुर प्रेम ! 

 

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 12:00pm

डॉ आशुतोष मिश्र जी

बहुत बहुत आभार  i  सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 10, 2013 at 11:59am

आदरनीय  सौरभ जी

सादर---- सादर----- सादर-----

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 10, 2013 at 11:25am

आदरणीय गोपाल सर ..अत्यंत गूढ़ भावों को व्यक्त करती गहन और सुंदर रचना के लिए तहे दिल बधाई ...सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 9:16pm

दो स्टूडेण्ट मिल कर क्या कमाल नहीं कर सकते.. :-)))))))

हम साथ-साथ हैं !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 9:07pm

आदरणीय सौरभ जी

चातक को स्वाति बिंदु मिलने पर शायद वह तृप्ति न मिलती हो जितनी आपके आशीर्वाद से मुझे मिली i  मुझे आपकी दीक्षा मिलती रहे और मै आपकी कसौटी  पर खरा उतरने का प्रयत्न करता रहूँ  i एक स्टूडेंट के लिया इससे बढ़कर क्या है  ?

सादर i

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2013 at 8:59pm

सावित्री राठौर जी

आपका आभार i

सादर ii


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 7, 2013 at 7:42pm

आदरणीय गोपालजी, आपकी इस प्रस्तुति की अनुगूँज देर तक बनी रही.
कार्मिक रूप से स्थावर हो गये एक भौतिक स्वरूप की मनोदशा को मिले शब्द वस्तुतः प्रभावकारी हैं. भारतीय सनातन मान्यताओं के अनुरूप ही प्रतीत हो रहे ध्वंसावशेष से सुगढ़ता और निरंतरता की सकारात्मक अपेक्षा इसके पाठकों को आश्वस्त करती है.

बड़ा अच्छा लगा कि आपकी प्रस्तुत रचना एक गहन एवं गूढ़ प्रतीत होते-से विषय को आवश्यक कथ्यात्मकता के साथ सरलता से साझा कर रही है.

हार्दिक बधाई, आदरणीय

Comment by Savitri Rathore on December 1, 2013 at 9:49pm

सुन्दर एवं सटीक अभिव्यक्ति ....... बधाई हो !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 1, 2013 at 7:51pm

अनंत जी

आपकी  प्रीति  और रीति  का सादर आभारी हूँ  i

Comment by अरुन 'अनन्त' on December 1, 2013 at 4:12pm

आदरणीय घाव करे गंभीर वाली बात कही है आपने बहुत ही गूढ़ भाव लिए शानदार अभिव्यक्ति बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई लक्ष्मण सिंह 'मुसाफिर' साहब! हार्दिक बधाई आपको !"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service