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लघुकथा : बलात्कार (गणेश जी बागी)

"इंस्पेक्टर प्लीज़ लॉज माय एफ आई आर",  आधुनिक परिधान पहने खूबसूरत युवती गॉगल्स को सर पर चढ़ाते हुए रौबदार आवाज़ मे बोली  | 
"मैडम कृपया बैठिए और आराम से बताइए कि आख़िर बात क्या हुई" 
"इंस्पेक्टर, उसने मेरा रेप किया है, मैं उसके खिलाफ केस दर्ज करवाने आई हूँ"
"कब कैसे और कहाँ हुआ यह सब, कृपया विस्तार से बताएँ",   इंस्पेक्टर ने युवती से पूछा | 
"इंस्पेक्टर, यह दो महीने पहले की बात है, जब हम दोनो अकेले दुबई टूर पर गये थे "
"तो एफ आई आर दो महीने बाद क्यों ?"
"वो कमीना दूसरी लड़की के साथ कल सिंगापुर टूर पर...."

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा :मतिमूढ़

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Comment by Abhinav Arun on November 16, 2013 at 6:27pm

आज की जनरेशन की यही ट्रेजेडी है..... , करारा व्यंग्य है , सशक्त और सन्देश परक आ.श्री बागी जी !

Comment by Satyanarayan Singh on November 16, 2013 at 5:11pm

आ. बागी जी आधुनिकता पर करारा व्यंग कसा है आपने इस लघुकथा  के माध्यम से हार्दिक बधाई स्वीकार करें.

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 16, 2013 at 4:46pm

बिलकुल यथार्थ कहा है , बदले की भावना ही पुरुष पीडन का एक कारण है वरना ९० प्रतिशत तो सब मर्जी से चलता है 

मुझे बहुत पसंद आई ये लघुकथा !

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 4:06pm

आदरणीय बागी जी ..आधुनिकता पर करारी चोट दर्शाती हुई ....आज की दुनिया को हर चीज अपने हिसाब से ही चाहिए ..नियम कानों भी सब उसके जैसे मुट्ठी में रखे है ...बेहतरीन लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2013 at 4:01pm

आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2013 at 4:01pm

आपसे आशीर्वाद प्राप्त कर धन्य हुआ आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव  जी, बहुत बहुत आभार । स्नेह बनाये रखें, सादर । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2013 at 3:59pm

लघुकथा की आत्मा को साक्षात् करती आपकी टिप्प्णी उत्साहवर्धन करने में सक्षम है, बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2013 at 3:57pm

सराहना हेतु अतिशय आभार प्रिय शिज्जू शकूर जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 16, 2013 at 3:55pm

तारीफ़ हेतु बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब । 

Comment by Shyam Narain Verma on November 16, 2013 at 3:19pm
बहुत सुन्दर...बधाई स्वीकार करें ………………

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