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जो बातें होठों तक न आ पाएँ 

उसे कागजों पर 

उकेरा करो .... 

दिल में न रखा करो 

ओंठ न सिया करो 

कुछ बातें लिखनी मुश्किल हो 

तो आँखों से कह दिया करो 

जब तन्हा हुआ करो 

तो आवाज़ दिया करो 

जो हसरत तेरी चाहत मे हो 

मेरे दामन से ले लिया करो 

गुफ्तगू

जम कर किया करो ....

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Amod Kumar Srivastava on November 19, 2013 at 7:03pm

आ0 आशुतोष जी, आ0 अरुण शर्मा जी, आ0 सौरभ जी  आप सभी का बहुत बहुत आभार .... उत्साहवर्धन के लिए... 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 17, 2013 at 1:52pm

बहुत अच्छे.  कुछ और बताइये.. .

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 17, 2013 at 1:01pm

बहुत सुन्दर आदरणीय अच्छा ख्याल है बधाई स्वीकारें

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 16, 2013 at 3:22pm

आदरणीय आमोद जी ..बेहतरीन ..बिलकुल सही कहा है आपने ..सादर बधाई के साथ 

Comment by Amod Kumar Srivastava on November 15, 2013 at 10:02pm

आ0 शिज्जु शकूर जी, आ0 गोपाल नारायण जी, आ0 मीना जी, आ0 गिरिराज जी आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद  उत्साहवर्धन के लिए ... आभार... 

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 10:01pm

बधाई तो मिलेगी ही,

गुफ्तगू करने को जी चाहता है मगर लब खामोश रहते है ,

ये असर है तेरी नजरो का जो हम मदहोश रहते है ! साधुवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 15, 2013 at 9:42pm

आदरणीय आमोड भाई , बहुत बढ़िया बात कही है भाई , बधाई !!!!!

Comment by Meena Pathak on November 15, 2013 at 5:46pm

हार्दिक बधाई गुप्तगू के लिए | सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 15, 2013 at 11:27am

आमोद जी

अभी  आपकी  उम्र है खूब गुफ्तगू कर ले  i सच ही गुफ्तगू करने के  अंदाज  बहुत है i

अभिव्यक्ति सुन्दर है i


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 15, 2013 at 9:04am

आदरणीय आमोद जी बेहतरीन रचना के लिये बधाई स्वाकार  करें

कृपया ध्यान दे...

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