For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए

ख्वाब के मोती हकीकत में पिरोने के लिए।
लोग हैं तैयार खुद की लाश ढोने के लिए।

झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,
है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।

आसमां की वो खुली, लंबी उड़ानें छोड़कर,
क्यों तरसते हैं परिंदे कैद होने के लिए।

जिंदगी भर खून औरों का बहाते जो रहे,
जा रहे हैं तान सीना पाप धोने के लिए।

जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,
सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।

पुष्प सारे चल दिए रंगीन गमलों की तरफ,
रह गया उजड़ा चमन बदहाल रोने के लिए।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 783

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 4, 2013 at 2:37pm

क्या बात कही है हर शेर में , हार्दिक बधाई। 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 4, 2013 at 9:32am

बहुत ख़ूब ... बधाई आदरणीय 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on November 3, 2013 at 3:51pm

झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,
है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए।

वाह बहुत खूब !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 3, 2013 at 2:04pm

दीप बाती तेल लेकर आइये,आ जाइए 

खेत में अब रौशनी के बीज बोने के लिए .............

शुभ दीपावली


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 3, 2013 at 8:32am

आदरणीय कुमार भाई , बहुत खूबसूरत , लाज़वाब गज़ल के लिये आपको बधाई !!!!

झोंपड़े में सो रहा मजदूर कितने चैन से,
है नहीं कुछ पास उसके क्योंकि खोने के लिए। ------- इस शेर के लिये ढेरों दाद !!!

Comment by Abhinav Arun on November 3, 2013 at 4:36am

जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,
सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।


पुष्प सारे चल दिए रंगीन गमलों की तरफ,
रह गया उजड़ा चमन बदहाल रोने के लिए।.....वाह श्री गौरव जी क्या कहने ..हर शेर उम्दा है शानदार ग़ज़ल , बधाई !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 2, 2013 at 11:52pm

///जगमगाते हैं दिखावे से शहर के सब मकान,
सादगी तो रह गई है मात्र कोने के लिए।

पुष्प सारे चल दिए रंगीन गमलों की तरफ,
रह गया उजड़ा चमन बदहाल रोने के लिए।///  बेहतरीन अशआर वाह 

ग़ज़ल पे मेहनत तो हुई है दिली दाद कुबूल करें

Comment by वीनस केसरी on November 2, 2013 at 11:48pm

बहुत खूब भाई इस ग़ज़ल की सहजता ने मन को मोह लिया

ढेरो दाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"असमंजस (लघुकथा): हुआ यूॅं कि नयी सदी में 'सत्य' के साथ लिव-इन रिलेशनशिप के कड़वे अनुभव…"
7 minutes ago
Profile IconSarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब साथियो। त्योहारों की बेला की व्यस्तता के बाद अब है इंतज़ार लघुकथा गोष्ठी में विषय मुक्त सार्थक…"
19 hours ago
Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
yesterday
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
Wednesday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service