For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- सारथी || दर्दे-दिल दीजिये या दवा दीजिये ||

दर्दे-दिल दीजिये या दवा दीजिये 

बस जरा सा सनम मुस्कुरा दीजिये /१ 

लूट ले जायेगा कोई रहजन सनम 

आप दिल को हमीं में छुपा दीजिये /२ 

आखरी साँस भी ले गया डाकिया 

पढ़! उसे भी ख़ुशी से जला दीजिये /३ 

नींद को ठंड लग जाएगी ऐ खुदा   

लीजिये जिस्म मेरा उढ़ा दीजिये /४  

लग रहा है थका वक़्त भी घूमकर 

पांव उसके दबाकर सुला दीजिये /५   

दर्द है , ज़ख्म है लाइए इश्क़ को 

इक नया आदमी फिर बना दीजिये /६ 

शोर है भीड़ है,  यूँ जनाज़े के दिन 

‘सारथी’ इक ग़ज़ल तो सुना दीजिये/७  

.....................................................
वज्न: २१२ २१२ २१२ २१२ 

सर्वथा मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1244

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Saarthi Baidyanath on November 4, 2013 at 11:52am

आदरणीय  वीनस केसरी  साहब ... ह्रदय गद गद हो गया आपका आशीष पाकर !...बहुत बहुत आभार व्यक्त करता हूँ आपका ... सादर नमन सहित !

Comment by वीनस केसरी on November 3, 2013 at 12:15am

क्या कहने भाई बहुत खूब

Comment by Saarthi Baidyanath on October 27, 2013 at 3:30pm

जनाब  Nilesh Shevgaonkar साहिब ... नवाजिश ...करम ... मेहरबानी ! पहली बार आपका आशीष मिल रहा है ...हार्दिक ख़ुशी हो रही है ! आपके स्नेहिल शब्दों का मैं ऋणी हूँ !..बहुत बहुत आभार ! सादर नमन स्वीकार करें :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 27, 2013 at 3:25pm

आदरणीय  VISHAAL CHARCHCHIT जी ...हार्दिक धन्यवाद आपका ! सीखने के क्रम में हूँ ...आपने मेरे मिहनत को सराहा है ..बहुत बहुत आभारी हूँ ...आभार मित्र !..नमन सहित :)

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 27, 2013 at 11:42am

वाह वा ....
आखरी साँस भी ले गया डाकिया 
पढ़! उसे भी ख़ुशी से जला दीजिये/२.... रोंगटे खड़े हो गए इस शेर को पढ़कर ... बहुत कुछ छुपा कर बहुत कुछ कह गए आप ... बधाई 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on October 26, 2013 at 11:13pm

///नींद को ठंड लग जाएगी ऐ खुदा 
लीजिये जिस्म मेरा उढ़ा दीजिये////

वाह - वाह......बहुत ही प्यारी गजल हुई है भाई !!!!

Comment by Saarthi Baidyanath on October 26, 2013 at 12:40pm

मान्यवर  Saurabh Pandey जी , सर्वप्रथम सादर नमन ! आपने अपना कीमती समय दिया है नाचीज की ग़ज़ल पर ...बहुत मेहरबानी ! मोहतरम के सुझाव भी हमारे लिए आदेश ही हैं और मैं पूर्णतः सहमत हूँ आपसे ! वास्तविकता तो ये है कि जब रचनायें इस पारखी मंच पर आती हैं तो अपनी कमियों का पता चलता है! उसको मांजने का निखारने का दुबारा अवसर मिल जाता है ...!!! आदरणीय, प्रयासरत हूँ ....कि अपने जीवन में कम से कम एक दो ग़ज़ल पढ़ने/सुनने लायक लिख सकूँ !. सिखलाते रहेंगे, आशीष देते रहेंगे ..ऐसी आशा करता हूँ ! सादर- सारथी :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 26, 2013 at 12:29pm

जनाब  Shijju Shakoor साहिब ...और आदरणीय  ram shiromani pathak जी ....बहुत मेहरबानी आपकी ! आपकी सराहना से हमेशा प्रेरणा मिलती है ! साथ बने रहिएगा !...सादर नमन सहित :)

Comment by Saarthi Baidyanath on October 26, 2013 at 12:28pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी ...ह्रदय तल से कोटिशः आभार ! आपने ग़ज़ल की सराहना की ...चंद अशआर को अंकित भी किया आपने ...कृतज्ञता प्रकट करता हूँ !..बहुत बहुत धन्यवाद आपका ! नमन स्वीकार करें :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 25, 2013 at 7:53pm

बढिया कोशिश के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय बैद्यनाथ सारथी जी.

मतला को मेरी समझ से थॊड़ा और समय देना था.

डाकिया वाले शेर पर मेरा भी यही कहना है कि वो थोड़ा अस्पष्ट है. आदरणीय सुशील भाई का कहना सही है. यदि डाकिया शब्द के प्रति आग्रह न बन गया हो तो उसे बेहतर किया जा सकता है,

जैसे ..

आखरी साँस भी खत में भेजा सनम 
पढ़ उसे भी ख़ुशी से जला दीजिये.. . .. या, ऐसा ही कुछ.

यही कुछ इस शेर के साथ भी है -

लग रहा है थका वक़्त भी घूमकर 
पांव उसके दबाकर सुला दीजिये.. ... इस शेर में घूम कर बेमतलब टहलने आदि का अर्थ ले रहा है लेकिन घूमना यानि turn around भी दिमाग़ में आ रहा है. बन सके तो इसे भी देख लें.

ये मेरे सुझाव कोई आरोपण न होकर मात्र भाव साझेदारी है. कृपया अन्यथा न लें

शुभ-शुभ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति का रदीफ जिस उच्च मस्तिष्क की सोच की परिणति है. यह वेदान्त की…"
5 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, यह तो स्पष्ट है, आप दोहों को लेकर सहज हो चले हैं. अलबत्ता, आपको अब दोहों की…"
46 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज सर, ओबीओ परिवार हमेशा से सीखने सिखाने की परम्परा को लेकर चला है। मर्यादित आचरण इस…"
51 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"मौजूदा जीवन के यथार्थ को कुण्डलिया छ्ंद में बाँधने के लिए बधाई, आदरणीय सुशील सरना जी. "
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  ढीली मन की गाँठ को, कुछ तो रखना सीख।जब  चाहो  तब …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"भाई शिज्जू जी, क्या ही कमाल के अश’आर निकाले हैं आपने. वाह वाह ...  किस एक की बात करूँ…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपके अभ्यास और इस हेतु लगन चकित करता है.  अच्छी गजल हुई है. इसे…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु भाई , क्या बात है , बहुत अरसे बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ा रहा हूँ , आपने खूब उन्नति की है …"
4 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधकह दूँ मन की बात या, सुनूँ तुम्हारी बात ।क्या जाने कल वक्त के, कैसे हों…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" posted a blog post

ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है

1212 1122 1212 22/112मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना हैमगर सँभल के रह-ए-ज़ीस्त से गुज़रना हैमैं…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी posted a blog post

ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)

122 - 122 - 122 - 122 जो उठते धुएँ को ही पहचान लेतेतो क्यूँ हम सरों पे ये ख़लजान लेते*न तिनके जलाते…See More
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
7 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service