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यह रचना मात्र हास्य के लिए लिखी गई है। इसका किसी भी व्यक्ति विशेष या जाति विशेष से कोई सरोकार नहीं है। कृपया इसे अन्यथा न लेकर मात्र एक हास्य के रूप में स्वीकार कर अपने आशीर्वाद से अनुग्रहित करें। सादर.....

मैडम

चौबे जी का मामला, लगता डाँवाडोल।

सिर से तो फुटबॉल है, और पेट है ढोल।।

और पेट है ढोल, चले वो जैसे हाथी,

चौबन उनके संग, रहे तो खूब लजाती।

पगलाए से डाँट, डपटकर बोले क्यों बे,

उनको कहते ‘मैम’, व हमको अंकल चौबे।

 

सारे उनकी बात पे, मंद मंद मुस्काय।

चौबे जी की खोपड़ी, प्रश्न कहाँ से लाय।।

प्रश्न कहाँ से लाय, सुनो तुम मेरा उत्तर,

बेटी हुई जवान, बड़े भाई सा पुत्तर।

किंतु फिगर है सैट, अभी चौबन का प्यारे,

इसीलिए हर राह, पुकारें ‘मैडम’ सारे।

------------------------------------ सुशील जोशी

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

संशोधित

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Comment by Sushil.Joshi on October 19, 2013 at 7:32am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी....

Comment by Sushil.Joshi on October 19, 2013 at 7:32am

बहुत बहुत धन्यवाद आपका आदरणीय अरुण निगम जी.... आप स्वयं कुंडलिया  छंद के महारथी हैं..... आपसे प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हुआ..... सादर

Comment by बृजेश नीरज on October 18, 2013 at 11:12pm

बढ़िया हास्य! आपको हार्दिक बधाई!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 18, 2013 at 9:06pm

हा हा हा हा , हास्य पर बढ़िया प्रयास है , बधाई । 

Comment by अजीत शर्मा 'आकाश' on October 18, 2013 at 7:40pm

हास्य रचना अच्छी रही !!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 18, 2013 at 6:08pm

आदरणीय सुशील भाई ,, सुन्दर हास्य रचना के लिये बधाई !!! कालेज़ के समय की याद आ गई , जब रात भर हास्य कवि सम्मेलन सुना करते थे !!!!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 18, 2013 at 5:55pm

वाह ! सुन्दर हास्य छंद रचना | हार्दिक बधाई 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 18, 2013 at 8:38am

सुन्दर हास्य रचना हेतु बधाई. शिल्प पर विस्तार से चर्चा हो ही चुकी है.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 10:56pm

आदणीय सुशील जी,

जिस पद पर आपकी और वीनस भाई की चर्चा हुई है वह वस्तुतः शब्द संयोजन के लिहाज से दोष पूर्ण है.
कुण्डलिया के रोला वाले भाग में रोला का ही नियम लागू होता है.

उस हिसाब से रोला के सम चरण का शब्द विन्यास ३, २, ४, ४  या ३, २, ३, ३, २ ही हो सकता है.
इस हिसाब से कॉलेज  शब्द से त्रिकल तो किसी तरह के उच्चारण से नहीं हो सकता. बस यही कारण है कि गेयता का दोष बन रहा है.

अब इस हास्यिका के लिए बधाई लीजिये. यों अब ऐसी हास्यिकाएँ अच्छी नहीं मानी जातीं.

पचास-साठ के दशक में ऐसे छंद या प्रस्तुतियाँ पत्र-पत्रिकाओं में हास्य-विनोद के नाम पर बहुत प्रचलित थीं, विशेषकर होली के आसपास. यह दौर सत्तर के दशक तक चला फिर जाति सूचक या अवस्था सूचक या स्थिति-परिस्थिति सूचक छंद या कविताएँ हाशिए पर जाने लगीं. इतना कि मेरे बचपन में अति प्रचलित तुकबन्दी मोटू सेठ .. सड़क पर लेट .. गाड़ी आयी  .. फट गया पेट.. गाड़ी का नम्बर ट्वेन्टीएट ...  भी आज बच्चे नहीं गाते-बोलते. अन्यथा यह कइयों की संवेदना पर आघात माना जाता है. हम्टी-डम्टी का भले रट्टा मारते रहें. (वैसे् दोनों के मूल में क्या अन्तर है ?)
खैर...

सादर

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 10:49pm

आदरणीय आपने मेरे बुरा मानने का बुरा नहीं माना ये तो हामारे साथ अन्य्याय है ... मुझे बड़ा दुःख हुआ :(((((((((((
हम तो सोचे बैठे थे कि थोडा फुटेज खाया जाए ... अपने सब किये कराये पर पाने फेर दिया

.
.

जैसा कि मुझे मंच के जानकारों से पता चला है ..

आपके छंद का नाम कुंडलिया है जिसमें एक दोहा और एक रोला होता है
दोहा १३ + ११ मात्रिक होता है
रोला ११ + १३ मात्रिक होता है
आपकी चौथी पंक्ति रोला की दूसरी पंक्ति है जिसमें ११+१३ मात्रा है न कि १३+११

मात्रिक छंद में मात्रा की गिनती के साथ ही मात्रा को कुछ निश्चित सेट्स में होना भी जरूरी होता है 

१३ + ११ में जो १३ है वो किसी भी तरह से १३ कर दिया जाए तो लयभंग हो जाएगा .. ११२ / १२१२ / २१२१ इस तरह से हमें लघु गुरु को संयोजित करना पड़ता है
आप अपनी अन्य पंक्ति की मात्रा देखें --

प्रश्न कहाँ से लाय, सुनो तुम मेरा उत्तर,
२१ १२ २  २१,  १२ २ २२ २२ 

आप देखेंगे कि लघु के बाद लघु आ रहा है जिससे लय बन रही है जबकि चौथी पंक्ति में ऐसा नहीं हो पा रहा है
बेटी हुई जवान, कॉलेज में है पुत्तर।
२२ १२ १२१ , २२१ २ २ २ २

इसे यूँ कर दें तो देखें कि क्या शानदार लय बन रही है ..
बेटी हुई जवान, कलेजे में है पुत्तर।
२२ १२ १२१ , १२२ २ २ २२

अब आपके द्वारा प्रयोग हुआ मात्रा क्रम छन्द में स्वीकार है या इससे सच में लय भंग का दोष बन रहा है ये तो जानकार लोग ही बताएँगे ...
मुझे जो पता था मैंने झोंक कर लिख मारा है :)))))))))))))))

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