For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आख़िरी पड़ाव:दीपक पांडेय

तिमिर में जो दीप्ति अवलोकित अंतिम वही ठिकाना
पथ खोजने पड़ेंगे खुद को, नही चलेगा कोई बहाना
कलेवर की पीर भूलकर लक्ष्य प्राप्ति की करों कामना
कर्म को तुम समझो गुरुवर, वेदनाओं को पाहूना

अंगीकार हो जहाँ पर सुख कहलाए वो आशियाना
मानव की काया नश्वर चरित्र ही असली गहना
रण की सफलता दिखलाए हर अराति को आईना
विजय प्राप्त मैं करता जाऊं सभी की यही तमन्ना

थकी भुजाएँ, लक्ष्य ओझल फिर भी अदम्य पराक्रम
अंकुश रहे चित्त पर यद्यपि प्रदर्शित धैर्य व संयम
नैतिकता की राह कठिन किंतु यही सर्वोत्तम
कहलाओगे विश्वविजेता सफलता चूमेंगी तुम्हारे कदम


दीपक पांडेय
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 700

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on October 18, 2013 at 5:10pm

बढ़िया प्रयास !!

Comment by coontee mukerji on October 18, 2013 at 1:18pm

बहुत सुंदर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 11:53pm

वाह .. उत्तम !

Comment by वीनस केसरी on October 17, 2013 at 9:45pm

सुंदर प्रस्तुति

Comment by बृजेश नीरज on October 17, 2013 at 6:14pm

विचारों को शब्द देने का अच्छा प्रयास है! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 17, 2013 at 12:53am

सुंदर सकारात्मक भाव, बहुत बहुत बधाई आदरणीय दीपक जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 16, 2013 at 11:24pm

आदरणीय दीपक जी, सकारात्मक विचार लिये सुंदर रचना हेतु बधाई. तत्सम शब्दों के साथ आईना, आशियाना, तमन्ना जैसे शब्दों का प्रयोग  न जाने क्यों आत्मसात नहीं कर पा रहा हूँ.

Comment by Sushil.Joshi on October 16, 2013 at 9:09pm

बहुत सुंदर एवं प्रभाव छोड़ती हुई रचना है आदरणीय दीपक भाई.... इसके लिए बधाई..... केवल निम्नलिखित दो शब्दों के अर्थ समझने में अभी तक नाकाम हूँ.... कृपया मार्गदर्शन कीजिएगा....

पाहूना     -    कर्म को तुम समझो गुरुवर, वेदनाओं को पाहूना

अराति    -    रण की सफलता दिखलाए हर अराति को आईना


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 16, 2013 at 7:07pm

आदरणीय दीपक भाई , सुन्दर भावों से सजी और जीवन पथ मे मार्ग दर्शन करती आपकी रचना के लिये आपको हार्दिक बधाई !!!!

Comment by annapurna bajpai on October 16, 2013 at 6:56pm

थकी भुजाएँ, लक्ष्य ओझल फिर भी अदम्य पराक्रम
अंकुश रहे चित्त पर यद्यपि प्रदर्शित धैर्य व संयम
नैतिकता की राह कठिन किंतु यही सर्वोत्तम......................... सुंदर पंक्तियाँ , बहुत बधाई आपको । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
38 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
54 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।... मतले पर…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ, कुछ सुझाव पेश…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ऐसे😁😁"
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"अरे, ये तो कमाल  हो गया.. "
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय नीलेश भाई, पहले तो ये बताइए, ओबीओ पर टिप्पणी करने में आपने इमोजी कैसे इंफ्यूज की ? हम कई बार…"
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके फैन इंतज़ार में बूढे हो गए हुज़ूर  😜"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय लक्ष्मण भाई बहुत  आभार आपका "
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है । आये सुझावों से इसमें और निखार आ गया है। हार्दिक…"
18 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service