For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा : गिफ्ट (गणेश जी बागी)

साफ साफ बताओं, आख़िर बात क्या है ? जबसे तुम अपनी छोटी बहन की शादी से लौटी हो, तुम्हारा मूड उखड़ा उखड़ा है और ढंग से बात भी नही कर रही हो, प्रकाश नें अपनी पत्नी नीतू से पूछा | 
"कुछ नही बस यूँ ही" 
"देखो 'बस यूँ ही' कहने से काम नही चलने वाला, तुम्हे मेरी कसम, सच सच बताओं हुआ क्या ?"

"प्रकाश आपने मेरी बहन की शादी मे जो अँगूठी गिफ्ट की थी न, वह किसी को पसंद नही आयी, भाभी और माँ ने आपका खूब मज़ाक उड़ाया, वो लोग कह रही थीं कि यह घटिया अँगूठी कहाँ से खरीदी है, एक तो बेहद हल्की है और डिजाइन भी देहाती टाइप, चेहरा लटकाए नीतू एक साथ बोल गयी | 

"हूउउउ तो यह बात है, अरे भाई तुम्हे तो पता ही है आजकल पैसे की दिक्कत चल रही है इसलिए अँगूठी खरीदी कहाँ, शादी में तुम्हारी माँ ने जो अँगूठी मुझे दी थी वो नई ही पड़ी थी उसी को साफ करवा कर गिफ्ट कर दिया था |

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : कन्या पूजन

Views: 1499

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 5:21am

हा..हा..हा..... यह भी खूब रही...... क्या खूब पंच मारा है आदरणीय गणेश बागी जी...... कहीं निजी अनुभव तो नहीं... हा..हा..हा..... कृपया अन्यथा न लीजिएगा....... दिल से बधाई इस सुंदर व्यंग्यात्मक लघु कथा के लिए.....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2013 at 11:13pm

आदरणीया गीतिका जी, आपकी टिप्पणी उत्साहवर्धन करती है, बहुत बहुत आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2013 at 11:12pm

सराहना हेतु दिल से आभार आदरणीय बृजेश भाई जी । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2013 at 11:11pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी भाई साहब, आपका आशीर्वाद लेखन में सहायक है, ह्रदय से आभार । 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 14, 2013 at 11:10pm

प्रिय अरुन, आपकी टिप्पणी सदैव श्रेष्ठ लेखन हेतु प्रेरित करती है,बहुत बहुत आभार । 

Comment by MAHIMA SHREE on October 14, 2013 at 10:18pm

हा हा .. मजा आ गया बहुत खूब ..आदरणीय बागी जी .. वैसे बहुत ही सुंदर तरीके से आपने दिखावटी रिश्ते की पोल खोली ... रिश्तेदारों में ये घटनाएँ तो  आम सी हैं ..हार्दिक बधाई

Comment by Abhinav Arun on October 14, 2013 at 7:13pm

आज के लेन देन के कल्चर पर करार प्रहार करती रचना आदरणीय श्री बागी जी हार्दिक बधाई आपको इस सशक्त लघुकथा हेतु !

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 14, 2013 at 4:38pm

वाह..वाह, क्या बढ़िया तरीके से बात कही |  
बढ़िया कहानी आदरणीय गणेश जी !!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 14, 2013 at 3:30pm

वाह! बहुत खूब, जोर का झटका, धीरे से...हा हा हा

महंगाई के ज़माने में, बढ़ते खर्चो में,जेब पर कम भारी पड़ती हुयी, लघुकथा पर, बहुत बहुत बधाई स्वीकारें आदरणीय गणेश जी

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 14, 2013 at 3:30pm

अच्छा है साहब...उम्दाः पलटवार !!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"अच्छी ग़ज़ल हुई आदरणीय बधाई हो 3 बोझ भारी तले को सुधार की आवश्यकता है"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय इस बह्र पर हार्दिक बधाई"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"बहुत शुक्रिया आदरणीय भंडारी जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
4 hours ago
surender insan commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई…"
6 hours ago
surender insan commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरणीय आज़ी भाई आदाब। बहुत बढ़िया ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करे जी।"
6 hours ago
surender insan commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सौरभ जी सादर नमस्कार जी। ग़ज़ल पर आने के लिए और अपना कीमती वक़्त देने के लिए आपका बहुत बहुत…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आदरणीय सुरेश भाई ,सुन्दर  , सार्थक  देश भक्ति  से पूर्ण सार छंद के लिए हार्दिक…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय सुशिल भाई , अच्छी दोहा वली की रचना की है , हार्दिक बधाई "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Aazi Tamaam's blog post तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या
"आदरनीय आजी भाई , अच्छी ग़ज़ल कही है हार्दिक बधाई ग़ज़ल के लिए "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service