For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - आज तू दर्द को ज़जा कहना । - पूनम शुक्ला

2122 1212 22
खत्म होती नहीं सजा कहना
बेरहम क्यों हुई रज़ा कहना

आशियाना सजा लिया हमने
तीरगी घेरती वज़ा कहना

आज फिर याद खूब आती है
मोतबर दर्द को मज़ा कहना

चाह कर भी सजा नहीं होगी
आज तू दर्द को ज़जा कहना

जान पर खेल कर कभी अपनी
जिन्दगी बाँटना क़जा़ कहना ।

दिन ब दिन बदलियाँ हटेंगी भी
जिन्दगी को न बेमज़ा कहना

कज़ा- ईश्वरीय आदेश
रज़ा - इच्छा
ज़जा - फल
मोतबर=जिसका एतबार किया हो,विश्वस्त

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 793

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 17, 2013 at 2:28pm

बधाई स्वीकारें, पूनम जी..

Comment by Sushil.Joshi on October 15, 2013 at 3:31am

बेहद सुंदर गज़ल कही है आदरणीया पूनम जी...

Comment by कल्पना रामानी on October 13, 2013 at 10:48pm

सुंदर गज़ल के लिए हार्दिक बधाई पूनम जी

 

Comment by बृजेश नीरज on October 13, 2013 at 6:25pm

बढ़िया ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on October 13, 2013 at 3:30pm

दिन ब दिन बदलियाँ हटेंगी भी
जिन्दगी को न बेमज़ा कहना |

वाह बढ़िया ग़ज़ल पूनम जी  !

Comment by रामनाथ 'शोधार्थी' on October 12, 2013 at 6:05pm

खूबसूरत ग़ज़ल...............

आज फिर याद खूब आती है
मोतबर दर्द को मज़ा कहना

Comment by वीनस केसरी on October 12, 2013 at 1:38am

आज फिर याद खूब आती है
मोतबर दर्द को मज़ा कहना

वाह ...

सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकारें

सज़ा में "ज़े" होता है अर्थात इसमें भी नुक्ता लगेगा ...

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2013 at 5:12pm

आदरणीया पूनम जी ..इस सुंदर रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by Abhinav Arun on October 11, 2013 at 8:04am

अच्छी ग़ज़ल आ. पूनम जी हार्दिक बधाई और शुभकामनायें !

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on October 10, 2013 at 8:41pm
आदरणीया पूनम जी! सुन्दर गजल है। भाव और कथ्य दोनों ही उत्तम हैं।
आदरणीय अरुण भाई जी! मेरे मतानुसार काफिया सही है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
4 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
4 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
7 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
9 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service