For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संवेदनाओं के 

अंतर गुन्जन पर 

भाव लहरियों का 

निःशब्दित नृत्य..

इस ओर से उस छोर 

उस छोर से इस ओर

विलयित तटबन्ध..

लहर लहर मन 

आनंदित 'नील सागर'

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 1167

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:50pm

अभिव्यक्ति पर सराहना कर प्रोत्साहित करने के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:48pm

आदरणीय केवल प्रसाद जी 

रचना पर शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:46pm

रचना पर शुभकामनाओं के लिए आभार आ० विजय जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 3, 2013 at 2:46pm

प्रिय महिमा श्री जी 

अभिव्यक्ति के साथ बहने के लिए आभारी हूँ 

सस्नेह धन्यवाद 

Comment by राजेश 'मृदु' on October 3, 2013 at 2:23pm

शब्‍दावली तो बड़ी रूचिकर लगी किंतु बहुत सारी बातें अस्‍पष्‍ट रहीं मेरे लिए यथा 'विलयित तटबन्‍ध'- किस तटबन्‍ध की ओर इशारा है जो विलयित हुआ ? दूसरे, 'नील सागर'  शब्‍द वस्‍तुत: किस बात की ओर संकेत करता है । ईशारा अमूर्त की ओर है यह तो आपकी लगभग हर रचना में एक स्‍थायी भाव है किंतु उसके कितने ही आयाम आपने ही गढ़े हैं, अत: यहां आकर मैं तो फंस गया, मार्गदर्शन करें, सादर

Comment by विजय मिश्र on October 3, 2013 at 2:22pm
भाव से बिभोर ,आनंद से ओत-प्रोत ,ऐसे बिहसते क्षण सबके जीवन में आए -- वाह !बहुत सुंदर . साधुवाद प्राचीजी ,
Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 3, 2013 at 1:58pm
आदरणीया इस बेहतरीन रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें ..वाकई गागर में सागर ..सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 3, 2013 at 9:32am

गुंजन करती सम्वेदनाओं और नि:शब्द करते भावों ने मुग्ध कर दिया, हार्दिक बधाइयाँ.............

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on October 3, 2013 at 9:13am

कोई संवेदनशील रचनाकार ही रच सकता है ऐसे प्रेम भाव की सुन्दर काव्यमय लघु शब्दों में पिरोकर | हार्दिक बधाई 

स्वीकारे डॉ प्राची सिंह जी | सादर 

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on October 3, 2013 at 8:51am

आदरणीया प्राची जी!   वाह..! अदभुत।   गुरेजों में भी आनन्द के क्षण ढ़ूढ़ लेना वास्तव में भावातिरेक की पराकाष्ठा होती है। हृदयतल से ढेरों हार्दिक बधाइयां।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service