For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मसले पड़े ज्वलंत, शब्दश: रविकर मसले-

मसले पर जब बलबला, शब्द मनाते जीत |
भाव मौन रहकर मरे, यही पुरातन रीत |

यही पुरातन रीत, तीर शब्दों के घातक |
दे दे गहरी पीर, ढूँढ़ ले खुशियाँ पातक |

बड़े विकारी शब्द, मचलती इनकी नस्लें |
मसले पड़े ज्वलंत, शब्दश: रविकर मसले ||

मौलिक / अप्रकाशित

Views: 485

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CHANDRA SHEKHAR PANDEY on September 25, 2013 at 2:16pm

बड़े विकारी शब्द, मचलती इनकी नस्लें |
मसले पड़े ज्वलंत, शब्दश: रविकर मसले ||  लेखन के सामाजिक दायित्व को निभाते हुए दमदार रचनाकर्म की बधाई स्वीकारें, आदरणीय

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 25, 2013 at 10:52am

मसले" शब्द को लक्ष्य कर रची सुन्दर कुंडलिया छंद पर हार्दिक बधाई भाई रविकर जी \ वाह ! 

रविकर अब सशक्त हुए, करे शब्द पर नाच 

मसलन शब्द लघु लगते,रविकर देवे आंच |

 

श्रोता पढ़ समझे नहीं, करे कौन अब जाँच,

मसलन रविकर जो लिखे,उसको माने साँच |

Comment by Vindu Babu on September 24, 2013 at 4:17pm
सामयिक दृश्य प्रस्तुत करती प्रभावी रचना!
सादर बधाई आदरणीय।
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:14pm
आदरणीय रविकर सी को कृपया आदरणीय रविकर जी पढ़े ... क्षमा सहित आभार !
Comment by Parveen Malik on September 24, 2013 at 12:06pm
आदरणीय रविकर सी सुंदर भावों से समायोजित कुण्डलिया छंद ....
बधाई स्वीकारें आदरणीय !!!
Comment by अरुन 'अनन्त' on September 24, 2013 at 11:07am

आदरणीय रविकर सर जबरदस्त भाव समेटे आपके द्वारा रचित आपकी यह कुण्डलिया छंद बेमिसाल है, आपको नमन एवं हार्दिक बधाई

Comment by vandana on September 24, 2013 at 7:07am

गहन भाव समेटे कुण्डलिया 

Comment by annapurna bajpai on September 23, 2013 at 7:37pm
आदरणीय रविकर जी बहुत बढ़िया कुण्डलिया , गहरे भावों को समेटे हुए । आपको हार्दिक बधाई ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 23, 2013 at 7:13pm

वाह वा !!! आदरणीय रविकर भाई क्या कहने !! कुंडलिया मे आपका जवाब नही !!  मुझे इसके सिवाय तारीफ करना भी नही आता !! बहुत बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service