For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फासलों का यह किनारा और है। ……… गजल

आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है
.
चल रही ऐसी यहाँ पर आंधियाँ
घर का बिखरा ये नजारा और है
.
या खुदा रहमत नहीं अब चाहिए
फासलों का ये किनारा और है
.
ख्वाहिशों को तोडा था तुमने कभी
फिर भी दिल ने हाँ पुकारा और है
.
हर ख़ुशी मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है
.
भूल जायेंगे चलो दुख की निशा
प्यार के सुख का सहारा और है
.
जीत लेंगे मुश्किलों की रहगुजर
होसलों का अब नजारा और है

----- शशि पुरवार

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 659

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 23, 2013 at 11:23pm

जीत लेंगे आपदो की रहगुजर

होसलों का अब नजारा और है......वाह! बहुत सुंदर

उम्दा गजल पर बधाई स्वीकारे आदरणीया शशि जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 23, 2013 at 10:46pm

आदरणीया शशि जी , उम्दा ग़ज़ल कही है आपने !! हार्दिक बधाई !!

Comment by annapurna bajpai on September 23, 2013 at 10:36pm

आ0 शशि जी बहुत खूबसूरत गजल , बधाई आपको ।

Comment by राज लाली बटाला on September 23, 2013 at 9:31pm
आज से रस्ता हमारा और है

साथ चलने का इशारा और है...................बहुत सुन्दर गज़ल ! हार्दिक बधाई !!शशि जी !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 23, 2013 at 8:48pm

२ १ २ २ २ १ २ २ २ १ २
बह्र ----रमल मुसद्दस महजूफ़
प्रिय शशि बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखी है
खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से
हार जाने का इजारा और है ---बहुत बढ़िया शेर वाह
बढ़िया ग़ज़ल हेतु दाद कबूलें सखी

Comment by Meena Pathak on September 23, 2013 at 7:39pm
खुशियाँ मिलती नहीं टकराव से

हार जाने का इजारा और है ................बहुत सुन्दर गज़ल .. बधाई आप को 

Comment by Abhinav Arun on September 23, 2013 at 6:06pm
आज से रस्ता हमारा और है
साथ चलने का इशारा और है
.
चल रही कैसी हवा की आंधियाँ

घर का बिखरा ये नजारा और है

 .....अच्छी भाव पूर्ण ग़ज़ल हुई है आदरणीया शशि जी हार्दिक बधाई !!

Comment by vijay nikore on September 23, 2013 at 6:03pm

इस बहुत खूबसूरत गज़ल के लिए बधाई।

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on September 23, 2013 at 5:30pm

एक निहायत ही खुबसूरत गजल बनी है , मन की आशाओ, संवेदनाओं और वेदनाओ का बेहतरीन समावेश है ! बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 23, 2013 at 5:18pm

वाह बहुत खूब, आदरणीया शशि जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिये दाद कुबूल करें,
एक निवेदन है बह्र का उल्लेख भी साथ में करें तो सीखने में आसानी होगी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Tuesday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Jul 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Jul 27
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service