For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल ----" इस क़दर तारीक़ियों की लत लगी है "

2122     2122     2122

पूछता मैं फिर रहा हूं हर किसी से      

क्या निकल सकते हैं ऐसी बेबसी से

मंज़िलों के वास्ते कितने हैं पागल  

हर किसी को पूछना है तिश्नगी से         

इस क़दर तारीक़ियों की लत लगी है

लग रहे हैं ख़ौफ़ खाये रौशनी से

आदमीयत की महज़ तो आरजू है

और हमको चाहिये क्या आदमी से

धर्म सारे चल नदी में हम सिरा दें

धूल खाते लटकते जो अलगनी से

.

          गिरिराज भंडारी

 मौलिक एवँ अप्रकाशित 

 

Views: 896

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 5:45pm

आदर्णीय विजय भाई , उत्साह वर्धन के लिये बहुत बहुत आभार !

Comment by विजय मिश्र on August 26, 2013 at 5:27pm
"आदमीयत की महज़ तो आरजू है
और हमको चाहिये क्या आदमी से " - बहुत माकूल इल्तजा आजके माहौल से . मुबारकवाद फरमाएं गिरिराजजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 5:23pm

आदरणीय सोनम जी , हौसला अफज़ाई के किये आपका बहुत शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 5:22pm

आदरणीय अरुन भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!

Comment by Sonam Saini on August 26, 2013 at 2:45pm

पूछता मैं फिर रहा हूं हर किसी से      

क्या निकल सकते हैं ऐसी बेबसी से.......................

खुबसूरत ग़ज़ल

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 26, 2013 at 1:33pm

वाह आदरणीय लाजवाब ग़ज़ल कही है आपने मतले ने मन मोह लिया सभी अशआर बेहद शानदार बन पड़े हैं दिल से दाद कुबूल फरमाएं.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 12:10pm
अभिनव भाई , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!
Comment by Abhinav Arun on August 26, 2013 at 8:51am

बहुत सशक्त और खूबसूरत ग़ज़ल हुई है आदरणीय बहुत बधाई क्या कहने --

इस क़दर तारीक़ियों की लत लगी है

लग रहे हैं ख़ौफ़ खाये रौशनी से


आदमीयत की महज़ तो आरजू है

और हमको चाहिये क्या आदमी से

उम्दा वाह !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 26, 2013 at 7:37am

आदरणीय वन्दना जी उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार !!

Comment by vandana on August 26, 2013 at 7:25am

धर्म सारे चल नदी में हम सिरा दें

धूल खाते लटकते जो अलगनी से

बहुत बढ़िया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service