For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

जब भी सोया अकेली रातों में

डूबता रहा  तुम्हारी बातों में 

कभी थे हाथ, तेरे हाथों  में 

हाँ! तुम  ही तुम महकती थीं 

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

जब होती थीं तुम तन्हाई में 

विरह की सम्वेदित अंगड़ाई में 

भावों की असीम गहराई में 

साध चुप्पी, तुम बिलखती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

मुझे याद है वे सारे पल 

वह परसों, आज और कल

जब टूटा था तेरा सम्बल

तुम भरे गले से  हिलकती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

तेरे मतवाले नशीले नयन 

घायल करते थे मेरा मन 

बाँहों में तेरी, जो अपनापन

जुल्फें रोज ही उलझती थीं

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

जब प्रेम पर पहरेदारी हुई 

दिल में चुभी ज्यों गर्म सुई

धीमी जलती धडकन की रुई

तुम  भी तो उधर सुलगती थीं 

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

           

 -जितेन्द्र 'गीत' 

मौलिक व अप्रकाशित  

Views: 966

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on September 13, 2013 at 12:08am

आपने रचना को पसंद किया, आपका बहुत आभार आदरणीय दवेंद्र भाई

सादर!

Comment by Devendra Pandey on September 12, 2013 at 2:56pm

Dil Ko Choo Li aapki Yah Rachna 

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on August 15, 2013 at 12:40am

जब भी सोया अकेली रातों में

डूबता रहा  तुम्हारी बातों में 

कभी थे हाथ, तेरे हाथों  में 

हाँ! तुम  ही तुम महकती थीं 

तुम्हारी चूड़ियां खनकती थीं 

खूबसूरत ..प्रेम की अद्भुत छटा लिए प्यारी रचना ...जितेन्द्र जी जय श्री राधे

हरदा से मेरे सहकर्मी भी रहे हैं देवेन्द्र देवड़ा ...पदम् देवड़ा आदि ...


भ्रमर ५


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 14, 2013 at 4:04pm

बहुत कोमल और सुन्दर भावाभिव्यक्ति 

हार्दिक शुभकामनाएँ आ० जीतेंद्र जी 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 14, 2013 at 9:38am

आदरणीय सौरभ जी

आपकी उत्साहबर्धक प्रतिक्रिया से मुझे मनोबल मिलता है, मार्गदर्शन व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 14, 2013 at 9:34am

आदरणीय विजय निकोर जी

आपने रचना को पसंद किया, रचना सार्थक हुयी, आशीर्वाद बनाये रखियेगा

सादर!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on August 14, 2013 at 9:31am

आदरणीय योगेश्वर जी

बहुत बहुत शुक्रिया आपका, स्नेह बनाये रखिये

सादर!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 14, 2013 at 12:26am

गंभीर प्रयास हुआ है.  बहुत खूब !

ढेर सारी बधाइयाँ ...

Comment by vijay nikore on August 12, 2013 at 7:34am

सुन्दर, अति सुन्दर।

बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by योगेश्वर 'राग' on August 11, 2013 at 10:36pm

आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी! आपके अंदर के कवि ने तो कमाल कर दिया.......

                                              

       

                                                               हार्दिक बधाई!सादर योगेश्वर 'राग'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service