For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विरह मधुर ज्यों प्रीत (दोहे)//डॉ० प्राची

प्रियतम कैसा यह विरह, तन्हाँ मैं निश-प्रात ,

मधुरिम-मधुरिम वेदना, पिया प्रेम सौगात  //१//

अथक चला अब सिलसिला, मन ही मन संवाद ,

कसमें वादे नित गुनूँ, उर झूमे आह्लाद //२//

जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,

स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३//

अधरों पर चंचल हँसी, नयन अश्रु की धार,

मोती निश्छल प्रीत के, बने सहज शृंगार //४//

प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,

पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//

नयन जागते स्वप्न में, लिए मिलन की आस,

प्रेम गीत उर गूँजते, कर झंकृत प्रति श्वाँस //६//

भाव प्रवण अनुबंध में, विरह मधुर ज्यों प्रीत,

विलयित दो अस्तित्व जब, मन मुस्काए मीत //७//

सभी सुधिजनों से सादर मार्गदर्शन अपेक्षित है..

मौलिक व अप्रकाशित 

डॉ० प्राची 

Views: 1374

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:30pm

रचना के अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार आ० श्याम नारायण वर्मा जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:26pm

दोहों को सराह उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 16, 2013 at 1:25pm

ahaa kya sundar dohaawali rachi hai aapne aadarneeyaa anupam aur komal bhaavon se bhare in dohon ke liye bahut bahut badhaai ho


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 1:25pm

आ० वन्दना जी 

दोहावली के भावों पर आपकी सराहना पा, लेखनी को बल मिला है 

आपका आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 16, 2013 at 10:39am

प्रेम रंग की ओढ़नी, साँझ ओढ़ नित आय ,

पलकें मूँदे उर जगे, विरह अगन तड़पाय //५//

जुल्फों के छल्ले बना, खेले मन बेचैन,

स्मृतियों में खोया रहे, साँझ-भोर दिन-रैन //३// प्रिय प्राची जी ये दोहावली मन को बहुत भायी ,ये दो दोहे तो कमाल के लगे ,बहुत बहुत बधाई उर्दू जबान में कहूँ तो ,इस मुसलसल दोहा वली के लिए ढेरों दाद  

 

Comment by Shyam Narain Verma on July 16, 2013 at 9:53am
बहुत ही सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई......................................."
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 16, 2013 at 9:45am

प्रेम, प्रणय, विरह और श्रृंगार को लेकर मधुरंम मधुरंम दोहे बहुत सुन्दर और मन भावन लगे, हार्दिक बधाई डॉ प्राची बहिन | सादर 

Comment by vandana on July 16, 2013 at 7:09am

sabhi dohoN ke bhaav bahut achchhe lage 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 12:19am

दोहावली को सराह अनुमोदित करने के लिए आभार आ० प्रवीण मालिक जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 16, 2013 at 12:19am

आदरणीय अशोक जी 

दोहावली पर उत्साहवर्धक सराहना के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद 

सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
""रोज़ कहता हूँ जिसे मान लूँ मुर्दा कैसे" "
28 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"जनाब मयंक जी ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की बातों का संज्ञान…"
32 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक भाई , प्रवाहमय सुन्दर छंद रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई "
52 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय बागपतवी  भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक  आभार "
55 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ, गुणीजनों की इस्लाह से ग़ज़ल…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद, इस्लाह और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी आदाब,  ग़ज़ल पर आपकी आमद बाइस-ए-शरफ़ है और आपकी तारीफें वो ए'ज़ाज़…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज भाईजी के प्रधान-सम्पादकत्व में अपेक्षानुरूप विवेकशील दृढ़ता के साथ उक्त जुगुप्साकारी…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"   आदरणीय सुशील सरना जी सादर, लक्ष्य विषय लेकर सुन्दर दोहावली रची है आपने. हार्दिक बधाई…"
11 hours ago

प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"गत दो दिनों से तरही मुशायरे में उत्पन्न हुई दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की जानकारी मुझे प्राप्त हो रही…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मोहतरम समर कबीर साहब आदाब,चूंकि आपने नाम लेकर कहा इसलिए कमेंट कर रहा हूँ।आपका हमेशा से मैं एहतराम…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service