For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जगह जगह मधुशाला देखी

जगह जगह मधुशाला देखी , नल का पानी बंद मिला 
अंधी नगरी चौपट राजा , किससे शिकायत किससे गिला


दिया दाखिला सब बच्चों को , 
मिली पढ़ाई मात्र नाम की , 
कंप्यूटर मिल रहे खास को , 
बिजली पानी नही आम की , 
आँखो पर पट्टी है या फिर सबको दी है भंग पिला

गूंगे गाये गीत मान के
बहरे सुन सुन कर इतराएँ
अंधों भी उत्सुक हैं ऐसे
महज इशारों मे बौराएँ
बंदर सारे खेल कर रहे ""अजय" मदारी रहा खिला

मौलिक और अप्रकाशित
अजय शर्मा

Views: 503

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2013 at 9:21pm

बढ़िया कटाक्ष किया सच में अँधेरी नगरी चौपट राजा वाली कहावत चरितार्थ हो रही है 

Comment by राजेश 'मृदु' on July 9, 2013 at 6:28pm

बहुत बढि़या, आनंद आ गया

Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 12:40am

आदरणीय अजय जी! हर ब्लॉग पोस्ट ने Edit blog Post का आप्शन भी होता है, उसका उपयोग करने से आप जो भी लिखेगे, वही पढने में आएगा, कुछ और नही :), और यह आप्शन ठीक रचना के शीषर्क के ऊपर लोकेटेड है! और ये सारी सुविधाएँ हमारे ही तो लिए है, क्यों न फिर इनका उपयोग किया जाये!

सादर!!        

Comment by ajay sharma on July 8, 2013 at 11:05pm

kripya dusre band ki tisri pankti me   "andhon" ke  bazaye "andhe"  hi padhe 

sabhi ko bahut habut dhanyabaad ..........ki rachna pasand aayiiiiii

 

Comment by Shyam Narain Verma on July 8, 2013 at 12:43pm

आदरणीय

रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..

Comment by Shyam Narain Verma on July 8, 2013 at 12:43pm
आदरणीय


रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 8, 2013 at 8:56am
आदरणीय..अजय जी, रचना अभिव्यक्ति पर, हार्दिक शुभकामनाऐं..
Comment by Dr Lalit Kumar Singh on July 8, 2013 at 5:27am

आ०  अजय जी!

वाह भाई!

शुभकामना इस  रचना पे  

Comment by वेदिका on July 8, 2013 at 4:24am

क्या तीक्ष्ण वार प्रहार है, वाह भाई!

शुभकामनाये लीजिये,  इस चुटीली रचना पे  आ०  अजय जी! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय,  श्रद्धेय तिलक राज कपूर साहब, क्षमा करें किन्तु, " मानो स्वयं का भूला पता…"
13 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"समॉं शब्द प्रयोग ठीक नहीं है। "
15 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया  ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया यह शेर पाप का स्थान माने…"
20 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"तन्हाइयों में रंग-ए-हिना याद आ गया आना था याद क्या मुझे क्या याद आ गया लाजवाब शेर हुआ। गुज़रा हूँ…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शानदार शेर हुए। बस दो शेर पर कुछ कहने लायक दिखने से अपने विचार रख रहा हूँ। जो दे गया है मुझको दग़ा…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मिसरा दिया जा चुका है। इस कारण तरही मिसरा बाद में बदला गया था। स्वाभाविक है कि यह बात बहुत से…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"खुशबू सी उसकी लाई हवा याद आ गया, बन के वो शख़्स बाद-ए-सबा याद आ गया। अच्छा शेर हुआ। वो शोख़ सी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हमको नगर में गाँव खुला याद आ गया मानो स्वयं का भूला पता याद आ गया।१। अच्छा शेर हुआ। तम से घिरे थे…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"किस को बताऊँ दोस्त  मैं क्या याद आ गया ये   ज़िन्दगी  फ़ज़ूल …"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"सुनते हैं उसको मेरा पता याद आ गया क्या फिर से कोई काम नया याद आ गया। अच्छा मतला हुआ। ‘सुनते…"
3 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
" आ. महेन्द्र कुमार जी, 1." हमदर्द सारे झूठे यहाँ धोखे बाज हैं"  आप सही कह रहे…"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service