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गज़ल 

बह्र : 2122  1212  22 

जाल सैयाद नें बिछाया है 

कैद में सोन पंछी आया है..

टीसता ज़ख्म पीपता रिश्ता 

सब्र की आड़ में छिपाया है..

हारी बाज़ी पलट  सका वो ही 

संग गम के जो मुस्कुराया है..

रात का चैन खो गया तो क्या 

ख्वाब तो चाँद का सजाया है..

फाँसले क्या उसे मिटाएंगे

उसकी हस्ती में सच समाया है..

कसमसाता रहा जो बरसों से 

राज़ वो आज लब पे आया है..

ज़िंदगी इश्क में फना करके 

गीत उल्फत का गुनगुनाया है..

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Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on June 4, 2013 at 5:01pm

आदरणीया डॉ प्राची जी सादर 

बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने सहज शब्दावली में गहन बातें इस शानदार ग़ज़ल हेतु सादर बधाई हो 

Comment by विजय मिश्र on June 4, 2013 at 4:47pm
"फाँसले क्या उसे मिटाएंगे
उसकी हस्ती में सच समाया है." - प्राचीजी ! बहुत वाजिब वकालत कियी हैं . और फिर सैयाद की जाल में सोन चीड़ैया का फंसना . अजीबोगरीब कसमकस महसूस कराता है. इस सुंदर रचना केलिए बधाई स्वीकार करें .
Comment by Vindu Babu on June 4, 2013 at 4:40pm
आदरणीया क्या कहूं,आपकी भाषा से हर विधा बंधी है,गज़ल हो या नवगीत, या हो भारतीय छन्द, बहुत निखरा हुआ रूप दीखता है।
शिल्प,कथ्य और शब्द चयन सब लाजवाब!
ढेरों बधाई आदरणीया
साद
Comment by Abhinav Arun on June 4, 2013 at 3:04pm

आदरणीय डॉ प्राची जी !! 

रात का चैन खो गया तो क्या 

ख्वाब तो चाँद का सजाया है..

सच्ची और सकारात्मक ख्यालों की इस ग़ज़ल पर हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं हर शेर बोल रहा है ..लाजवाब ..जिंदाबाद ग़ज़ल !!

Comment by Neeraj Nishchal on June 4, 2013 at 1:15pm
कलम कागज़ पे जो चली उनकी ,
दिल का भाव शब्दों में उतर आया है ।

बहुत सुन्दर आदरणीया प्राची जी ......
Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on June 4, 2013 at 12:14pm

आदरणीया बेहतरीन कलाम पेश किये आपने ! मत्ला तो ग़ज़ब ढा रहा है! सहज शब्दों में गहन भाव उभरे हैं! जिनका अपने उचित परिप्रेक्ष्य में प्रयोग किया जा सकता है! टीसता ज़ख़्म पीपता रिश्ता... समीचीन सामाजिक स्थितियों में यह अनेक संबंधों के बीच संतुलन साधे रहने को बख़ूबी उजागर करता प्रतीत हो रहा है! लाजवाब ग़ज़ल की पेशकश पर हार्दिक बधाई स्वीकार करें! सादर,

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 4, 2013 at 11:21am
"आदरणीया...प्राची जी, उम्दा गजल प्रस्तुत ..." रात का चैन खो गया तो क्या, ख्बाव तो चाँद का सजाया है...फाँसले क्या उसे मिटाऐंगे , उसकी हस्ती में सच समाया है.... आदरणीया ! हार्दिक बधाई व शुभकामनायें
Comment by रविकर on June 4, 2013 at 11:20am

बहुत बढ़िया-

शुभकामनायें आदरेया-

Comment by Shyam Narain Verma on June 4, 2013 at 11:08am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.....
Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on June 4, 2013 at 10:17am

बहुत सुंदर प्राची जी बधाई आपको 

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