For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये लो चाँद-सितारे ले लो

जगमगाती यादों के तारे ले लो

ज़िन्दगी कों हँसकर जीने कों

ये लो रंगीन सहारे ले लो ,

गुज़र रहा था फेरीवाला

एक बंजारा, एक मतवाला

बेच रहा था गली-गली में

जीवन की खुशियों का खज़ाना

मोल भी न लेता वो अलबेला

अनमोल मोती लुटाने वाला .

कोई दुखी था ख़ुशी दे गया

बदले में ले गया आसुओं की माला

किसी घाव कों मलहम दे गया

बदले में ले गया दर्द वो सारा

फिर भी खाली न होता झोला

हर दिन आता वो बंजारा

वो मतवाला, वो अलबेला

और नही कोई वो फेरीवाला

है सबका मालिक ऊपरवाला .

Views: 959

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 23, 2013 at 11:41pm

आदरणीया पूजा जी सादर फेरीवाले को परिभाषित करती उसके सुख दुःख को बयान करती सुन्दर रचना सादर बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 21, 2013 at 10:32pm

आदरणीया पूजा अग्रवाल जी

बहुत ही उत्कृष्ट और सुन्दर भाव कथ्य हैं रचना के, एक सहजता है और रवानी भी

रचना में कथ्य का प्रस्तुतीकरण ज़रा सा और साधने से अभिव्यक्ति अद्वितीय हो सकती है.

शुभकामनाएँ 

Comment by aman kumar on May 21, 2013 at 4:48pm

और नही कोई वो फेरीवाला

है सबका मालिक ऊपरवाला

सच ही कहा  है आपने सुंदर प्रस्तुति ! 

Comment by बृजेश नीरज on May 20, 2013 at 11:35pm

आपके इस प्रयास पर आपको बधाई।
एक सुंदर रचना बनते बनते रह गयी। यहां आपसी संवाद के द्वारा मैंने बहुत कुछ सीखा है। आशा है आप भी अन्य सदस्यों से संवाद की स्थिति में रहेंगी जिससे आपका रचनाकर्म और निखर कर प्रस्तुत हो सके।

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 20, 2013 at 11:03pm

आदरणीया पूजा जी बहुत कुछ नहीं कहूँगा काफी कुछ गुरुदेव श्री जी ने कह दिया है, केवल इतना ही कहूँगा कि आपकी लेखनी में धार है बस आवश्यकता है तो धार को और धारदार करने की, सधते सधते सध जायेगा. इस सुन्दर रचना हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें.

Comment by Abhinav Arun on May 20, 2013 at 3:47pm


आदरणीया पूजा जी आप लिखते रहे ताकि  निखार आये .आदरणीय श्री के निर्देशन में हम सब सीख रहे हैं . ओ बी ओ पर आपका हार्दिक स्वागत . इस काव्य रचना में शब्दों का चयन और एक प्रवाह है जो सुखद है । अपनी रचना खुद बार बार पढ़ें और परिमार्जन करें . हार्दिक साधुवाद और शुभकामनाएं !!

Comment by राजेश 'मृदु' on May 20, 2013 at 1:17pm

कहने वाले कह गए सब कुछ/अब कहना बेकार है...... लिखते रहें और दिए गए सुझावों को गुणते हुए आगे बढ़ते रहें, सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 20, 2013 at 12:18pm

किसी रचनाकार को उसकी भावनाओं के सापेक्ष उसकी स्पष्टता ही उसे सटीक शब्द उपलब्ध कराती है. यही रचनाकर्म का आधारभूत चरण है. इसके आगे उसी संप्रेषण को किसी भाषा साहित्य का हिस्सा होने के लिए उचित विधा रुपी साधन का प्रयोग आवश्यक हो जाता है. जिसके विधान पर समय देना किसी रचनाकार को साहित्य के संदर्भ में गंभीर प्रयासकर्ता बनाता है.

आपकी प्रस्तुत रचना के शब्दॊं का संयोजन और रचना की अंतर्निहित गेयता बता रही है कि इस प्रस्तुति में सुगढ़ कविता बनने के सभी गुण वर्तमान हैं. जो कुछ बचा दीखता है वह है आपका जागरुक प्रयास.

आपको इस मंच से जुड़े कुछ दिन हो गये हैं. आपही के सामने कुछ ऑनलाइन इण्टरऐक्टिव आयोजन भी सम्पन्न हो चुके हैं. आशा है, आपने उन आयोजन की प्रस्तुतियों और उनपर आयी टिप्पणियों को मूक श्रोता की तरह देखा-पढ़ा भी हो. आप समझ सकती हैं कि मेरे कहने का आशय क्या है.

शुभेच्छाएँ. .

Comment by विजय मिश्र on May 20, 2013 at 9:56am
निर्विवाद सत्य , सलोने ढंग से आपने रखा पूजाजी , विषय गंभीर और भाषा इतनी सहज कि जैसे बच्चों केलिए लिखी गयी हो . साधुवाद .
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 19, 2013 at 7:04pm

का जाने किस भेष में बाबा मिल जाए भगवान् रे -

बंजारा, मतवाला,या फिर फेरी वाले भेष में ------बड़े प्यार से मिलना सबे दुनिया में इंसान रे 

इस प्रकार का सन्देश देती सुन्दर रचना के लिए बधाई पूजा अग्रवाल जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया... सादर।"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय समर साहब,  इस बात को आप से अच्छा और कौन समझ सकता है कि ग़ज़ल एक ऐसी विधा है जिसकी…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"वाह, हर शेर क्या ही कमाल का कथ्य शाब्दिक कर रहा है, आदरणीय नीलेश भाई. ंअतले ने ही मन मोह…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"कैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास ।  .. क्या-क्यों-कैसे सोच कर, यदि हो…"
10 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"  आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंद की सराहना के लिए आपका हृदय से आभार. सादर "
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"  आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, वाह ! उम्दा ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें.…"
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विविध
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सभी दोहे सुन्दर रचे हैं आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
19 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service